आस्था के सैलाब ने तोड़ी सारी बाधाएं : रतनगढ़ मंदिर पर पहुंचे 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु, रात तक दर्शन करने पहुंचते रहे भक्त

दतिया । रतनगढ़ माता मंदिर पर दोज पर लगने वाले लख्खी मेले में लगभग 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में पहुंचकर दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने अपनी मन्नते पूरी की। उप्र के ललितपुर, कन्नौज, जालौन, झांसी सहित भिंड, शिवपुरी, मुरैना से भी बड़ी संख्या में लाखों श्रद्धालु शनिवार को रतनगढ़ मंदिर पहुंचे। बता दें कि इस बार सिंध नदी का रतनगढ़ पुल टूट जाने के कारण लोगों को 100 किमी का फेरा लगाकर रतनगढ़ मंदिर पहुंचना पड़ा।

दतिया जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर रतनगढ़ माता मंदिर पर दौज के लख्खी मेले को लेकर भारी आवाजाही रही। शाम 6 बजे तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता मंदिर पहुंचकर दर्शन कर लिए थे। बता दें कि यहां मान्यता है कि सर्पदंश से पीड़ित को माता के नाम का बंध बांधने पर सर्प का जहर उतर जाता है। इसी मन्नत को पूरा करने श्रद्धालु दौज पर्व पर यहां आते है। मप्र और उ.प्र. के विभिन्न जिलों व गांवों से लोग यहां पर इस दिन पहुंचते हैं।

इस बार बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को सिंध का पुल टूट जाने के कारण मंदिर तक पहुंचने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। ग्वालियर व दतिया के जिला व पुलिस प्रशासन ने मिलकर सारी व्यवस्थाएं जुटाई थी। इसके बावजूद भी दर्शनार्थियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। रतनगढ़ मंदिर पीठ के महंत पंडित राजेश कटारे ने बताया कि मंदिर पर स्वभाविक रूप से जो श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं उतनी संख्या से ज्यादा श्रद्धालु इस बार आए है।

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उनकी आस्था और विश्वास में कोई कमी नहीं आई है। मंदिर परिक्षेत्र में ही हॉस्पिटल सहित अन्य सुविधाएं प्रशासन ने मुहैया कराई थी। स्ट्रेचर बैरीकेडिंग, पेयजल तथा अन्य सुविधाएं भी श्रद्धालुओं के लिए की गई थी। बता दें कि पिछले दो साल से कोरोना के चलते मंदिर पर इतनी भीड़ नहीं हुई थी। इस बार तुलनात्मक रूप से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर पर पहुंचे हैं. जबकि प्रशासन ने माता के ई-दर्शन की व्यवस्था भी की थी।

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