नई दिल्ली : भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी नीरेका अमरसूर्या ने 16 अक्टूबर को नीति आयोग का दौरा किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच बुनियादी ढांचा, शिक्षा, पर्यटन, कौशल विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया।
नीति आयोग की भूमिका पर श्रीलंका की प्रधानमंत्री की सराहना : अपने उद्घाटन वक्तव्य में डॉ. अमरसूर्या ने भारत के नीति आयोग की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह संस्थान एक थिंक टैंक और समन्वय मंच के रूप में भारत के विकास मॉडल को मजबूत करता है और नीति निर्माण को जमीनी स्तर पर लागू करने में सेतु का कार्य करता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि श्रीलंका अपनी सुधार यात्रा के दौरान ऐसे संस्थानों के अनुभव से सीखना चाहता है जो साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और राजनीतिक चक्रों से परे निरंतरता को बढ़ावा देते हैं।
भारत की प्रमुख योजनाओं पर हुई विस्तृत चर्चा : बैठक की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के. बेरी ने की। इस दौरान आयोग के सदस्यों ने भारत की विभिन्न परिवर्तनकारी पहलों की जानकारी साझा की —
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इसके अतिरिक्त, भारत-श्रीलंका के बीच ईटीसीए (Economic and Technology Cooperation Agreement) पर भी चर्चा हुई, जिससे व्यापार और तकनीकी सहयोग को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
ज्ञान-साझाकरण और सहयोग की नई संभावनाएं : बैठक में नीति आयोग के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस संवाद ने भारत की ज्ञान-साझाकरण (Knowledge Sharing) और सहयोगात्मक विकास के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। दोनों पक्षों ने इस अवसर पर “पड़ोस प्रथम” नीति और “महासागर” क्षेत्रीय ढांचे के तहत ज्ञान-आधारित, तकनीक-संचालित और जन-केंद्रित साझेदारी को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया।
क्षेत्रीय विकास और साझेदारी का नया अध्याय : यह यात्रा भारत-श्रीलंका के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ती है। दोनों देशों ने सतत विकास, नवाचार आधारित नीति निर्माण और कौशल विकास सहयोग के साझा दृष्टिकोण को पुनः मजबूत किया। नीति आयोग और श्रीलंका सरकार के बीच यह संवाद दक्षिण एशिया में स्थायी और प्रौद्योगिकी-सक्षम साझेदारी की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है।


