(Chandighar News) चंडीगढ़ । कांग्रेस के दो विधायकों फतेहजंग सिंह बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को क्रमश: डीएसपी और तहसीलदार बनाने के प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस नेताओं सहित भाजपा और आप ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में यह एजेंडा लाए जाने से पूर्व सरकार अपने ही राज्यसभा सदस्यों के सवालों से घिर गई है। राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर सवाल दागते हुए कहाकि आतंकवाद के दौर में 1600 कांग्रेसी नेता आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए, क्या आपने उनके परिवारों में से किसी एक को भी नौकरी दी है? क्योंकि विधायक आपके खिलाफ बोल रहे हैं तो उनका मुंह बंद करने के लिए उनके बच्चों को डीएसपी और तहसीलदार बनाया जा रहा है।
सरकार को सबसे पहले उन गरीब कार्यकर्ताओं का ख्याल रखना चाहिए जो बुरे वक्त में पार्टी के साथ खड़े रहे। मगर आतंकवाद के दौर के बाद तीन बार सत्ता में आने के बावजूद उनके लिए कुछ भी नहीं किया गया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव ने कहाकि पंजाब में विभिन्न वर्गों के 27 हजार लोग आतंकवाद का शिकार हो गए। यह सभी निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखते थे, लेकिन किसी को भी नौकरी नहीं दी गई। आज जब कांग्रेस के अपने विधायक बगावत पर उतर आए हैं और कैप्टन को कुर्सी से हटाना चाहते हैं तो उनका मुंह बंद करने के लिए मुख्यमंत्री इन पैसे से सक्षम विधायकों के बेटों को नौकरी दे रहे हैं।
कैप्टन सरकार के इस फैसले से लोगों को समझ आ रहा है कि कैप्टन ने ‘घर-घर नौकरी’ का जो वादा किया था, वह पंजाब के लोगों से नहीं बल्कि अपने विधायकों से किया था। आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक और यूथ विंग पंजाब के प्रधान ने कहा कि कैप्टन ने ‘घर-घर नौकरी’ देने का वादा कांग्रेस नेताओं से ही किया था। आम लोगों को रोजगार मेलों के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
देश के लिए शहीद होने वाले ऊधम सिंह के परिवार के सदस्य दिहाड़ी करने के लिए मजबूर हैं। कैप्टन ने कभी शहीद परिवारों की तरफ ध्यान ही नहीं दिया और अपने विधायकों के बच्चों को बड़े पदों पर नौकरियां दी जा रही हैं। नियमों को दरकिनार कर सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के भाई को भी सीधे डीएसपी लगाया गया था, यह मसला आज भी हाईकोर्ट में पेंडिंग है।