चंडीगढ़ : भारत की जी20 की अध्यक्षता ने अमृतसर के खालसा कॉलेज में सभी का ध्यान आकर्षित किया, जहाँ शिक्षा मंत्रालय के तहत आईआईटी रोपड़ ने ‘असाधारण सहयोग से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने’ के बारे में एक संगोष्ठी की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में समान विकास के लिए राष्ट्रों के बीच सेतु निर्माण पर ध्यान देने के साथ, काम और नवाचार के भविष्य पर चर्चा करने के लिए जी20 शिक्षा कार्य दल के प्रतिनिधि एक मंच पर आए।
आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और विश्व स्तर पर अनुसंधान और नवाचार में खुद को एक अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए भारत के अवसर पर प्रकाश डाला।
उच्च शिक्षा सचिव श्री के. संजय मूर्ति ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और निरंतर विकास हासिल करने के लिए अनुसंधान में सहयोग के महत्व पर जोर दिया। आईआईएससी के निदेशक प्रोफेसर गोविंद रंगराजन ने डोमेन की एक दूसरे पर निर्भरता और समस्याओं को हल करने के लिए अंतः विषय कार्रवाई पर ज्ञानवर्धक विचार साझा किए। उन्होंने विकसित दुनिया की समस्याओं को हल करने की क्षमता वाले भारत के किफायती नवाचारों और जमीनी स्तर पर नवाचार को स्वीकार करने और उपयोग करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बुदराजू श्रीनिवास मूर्ति ने विश्व की समस्याओं को हल करने के लिए सरकार-शिक्षा-उद्योग के बीच तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार लेकर आई है और देश में विभिन्न कार्यक्रम एक संगठन के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ एक साझा लक्ष्य हासिल करने जैसे आई-स्टेम पोर्टल, इवेंटिव आईआईटी-आर एंड डी फेयर आदि के लिए सहयोग को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं।
प्रो. अनिल गुप्ता द्वारा संचालित और प्रो. राजीव आहूजा की अध्यक्षता में ‘रिसर्च इन इमर्जिंग एंड डिसरप्टिव टेक्नोलॉजीज, इंडस्ट्री-4.0’ शीर्षक वाले पहले पैनल में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, भारत और यूके के पैनलिस्ट एक साथ एक मंच पर आए, जिन्होंने उभरते नवाचारों पर शोध को बढ़ावा देने, शिक्षा प्रणालियों और सामान्य रूप से समाज पर उनके प्रभाव के बारे में विभिन्न हितधारकों की भूमिका पर प्रासंगिक अंतर्दृष्टि साझा की।
चीन, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात और यूनिसेफ का प्रतिनिधित्व करने वाले पैनलिस्टों के साथ प्रोफेसर शालिनी भरत की अध्यक्षता में ‘रिसर्च इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ पर दूसरे पैनल ने विश्वविद्यालयों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अनुसंधान का तत्व होने पर महत्व दिया।
पैनलिस्टों में से एक ऑस्ट्रेलियाई सरकार के शिक्षा विभाग में सहायक सचिव सुश्री एलिसन डेल ने उनके देश में राष्ट्रीय सहयोगात्मक बुनियादी ढांचा योजना और उनकी सरकार एप्लाइड रिसर्च अनुप्रयुक्त अनुसंधान की दिशा में क्या कर रही है, इसके बारे में चर्चा की। उन्होंने अतीत में ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय संस्थानों के बीच सफल साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए अनुसंधान और नवाचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के सहयोग दोनों देशों के निरंतर विकास में फलते-फूलते रहेंगे और योगदान देंगे।
संगोष्ठी में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान तैयार करने के लिए सरकार-शिक्षा-उद्योग संबंधों के बीच की खाई को पाटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। शिक्षा में बहु-विषयकता लाने की आवश्यकता है। चर्चा एक आम सहमति पर पहुंची कि अनुसंधान में सहयोग समय की आवश्यकता है और देशों/संस्थानों को निरंतर विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सार्थक और प्रयोग करने योग्य अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए साइलो को तोड़ने की आवश्यकता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान किया गया था। अनुसंधान के आंकड़ों और उत्पादों को साझा करने के लिए एक फ्रेमवर्क स्थापित करने की भी आवश्यकता है। जी20 देशों को वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए उभरती और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का प्रभावी उपयोग के लिए एक सामान्य फ्रेमवर्क स्थापित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए।
संगोष्ठी का समापन पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और शिक्षा और नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को पंजाबी भोजन का स्वाद चखने और राज्य की समृद्ध संस्कृति का अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया। श्री मान ने जी20 के शिक्षा कार्य दल की दूसरी बैठक की मेजबानी पंजाब को करने का मौका देने के लिए भारत सरकार का भी आभार व्यक्त किया।
संगोष्ठी के बाद दोपहर का भोजन और जी20 प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध करने के लिए सांस्कृतिक प्रदर्शन किया गया। उद्योग, शिक्षा और स्टार्ट-अप पहलों से भागीदारी की विशेषता वाली मल्टीमीडिया प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है। यह स्थानीय संस्थानों, छात्रों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए 16 और 17 मार्च को खुली होगी।