निर्वाचन आयोग ने डाक मतपत्रों की गिनती के नियम किए और पारदर्शी : 6 माह में 30वीं पहल, दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं को मिलेगा लाभ

नई दिल्ली :  निर्वाचन आयोग ने मतगणना प्रक्रिया को और पारदर्शी एवं सुव्यवस्थित बनाने के लिए डाक मतपत्रों (Postal Ballots) की गिनती संबंधी नए नियम लागू किए हैं। यह कदम पिछले छह महीनों में आयोग द्वारा उठाई गई 30वीं महत्वपूर्ण पहल है।


ईवीएम और डाक मतपत्र गिनती की नई व्यवस्था : मतगणना के दिन अब डाक मतपत्रों और ईवीएम दोनों की गिनती एक निश्चित क्रम में होगी। परंपरागत रूप से डाक मतपत्रों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होती है और ईवीएम की गिनती 8:30 बजे। पहले यह संभव था कि ईवीएम की गिनती डाक मतपत्रों के पूरे होने से पहले भी समाप्त हो जाए। लेकिन अब आयोग ने स्पष्ट किया है कि ईवीएम/वीवीपैट गिनती का अंतिम से पहले वाला दौर तभी शुरू होगा जब डाक मतपत्रों की गिनती पूरी हो जाएगी।


बढ़ती संख्या और पारदर्शिता की जरूरत : हाल के वर्षों में दिव्यांगजनों और 85 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए “घर से मतदान” सुविधा शुरू होने से डाक मतपत्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इस कारण आयोग ने स्पष्ट किया है कि जहाँ डाक मतपत्र अधिक हों, वहाँ रिटर्निंग अधिकारियों को पर्याप्त टेबल और कर्मचारियों की व्यवस्था करनी होगी ताकि किसी प्रकार की देरी न हो और गिनती सुचारू रूप से पूरी हो।


निर्वाचन आयोग की 30 बड़ी पहलें : बीते छह महीनों में आयोग ने मतदाताओं की सुविधा, पारदर्शिता और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए 29 अन्य कदम भी उठाए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • सभी मतदान केंद्रों पर 100% वेबकास्टिंग,

  • प्रति केंद्र 1200 से अधिक मतदाता न होना,

  • ईवीएम पर उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें,

  • ईसीआईएनईटी डिजिटल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ,

  • मृतकों के रिकॉर्ड से मतदाता सूची का शुद्धिकरण,

  • बीएलओ और चुनाव कर्मचारियों के पारिश्रमिक में वृद्धि।


आयोग का उद्देश्य : निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन सुधारों का मकसद मतदाताओं की सुविधा बढ़ाना, मतदान प्रक्रिया में भरोसा मजबूत करना और चुनाव परिणामों की घोषणा को और अधिक पारदर्शी बनाना है। आयोग का मानना है कि डाक मतपत्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह बदलाव लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में एक अहम कदम है।

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