नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने देश की चुनावी प्रणाली को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 474 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटा दिया है। ये वे दल हैं, जिन्होंने लगातार छह वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया।
लगातार चल रही प्रक्रिया : जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत दलों को प्रतीक और कर छूट जैसे विशेष लाभ मिलते हैं। नियमों के अनुसार यदि कोई पार्टी छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाता है।
चुनाव आयोग ने अगस्त 2025 में पहले चरण में 334 दलों को डीलिस्ट किया था। इसके बाद, 18 सितम्बर 2025 को दूसरे चरण में 474 और दलों को हटाया गया। इस प्रकार पिछले दो महीनों में कुल 808 दल सूची से बाहर हो चुके हैं।
तीसरे चरण की कार्रवाई शुरू : अब आयोग ने तीसरे चरण की प्रक्रिया में प्रवेश किया है। इस दौरान 359 दलों की पहचान की गई है, जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) में अपने वार्षिक लेखापरीक्षित खाते और चुनाव व्यय रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं की। ये दल देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश से 127, तमिलनाडु से 39 और दिल्ली से 41 दलों को नोटिस भेजे गए हैं।
पारदर्शिता पर जोर : आयोग ने संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करें। इसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अंततः चुनाव आयोग सीईओ की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय करेगा कि संबंधित दलों को सूची से हटाया जाए या नहीं।


