नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। इसके साथ ही मोदी ने ‘बिम्स्टेक’ के सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह आवश्यक हो गया है कि “हमारी क्षेत्रीय सुरक्षा” को और अधिक प्राथमिकता दी जाए।
‘बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’ (बिम्स्टेक) के डिजिटल माध्यम से आयोजित पांचवें शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में मोदी ने कहा कि क्षेत्र में स्वास्थ्य और सुरक्षा की चुनौतियों के बीच एकता और सहयोग आज के समय की मांग हैं।
उन्होंने कहा, “आज समय है कि बंगाल की खाड़ी को संपर्क, समृद्धि और सुरक्षा का सेतु बनाया जाए।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत, बिम्स्टेक सचिवालय के परिचालन बजट को बढ़ाने के लिए सहयोग के रूप में 10 लाख अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र आज के चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य से अछूता नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्थाएं, हमारे लोग अब भी कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जूझ रहे हैं।”
यूक्रेन-रूस युद्ध का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में यूरोप में हुए घटनाक्रम से “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।” उन्होंने कहा, “इस संदर्भ में, यह जरूरी हो गया है कि बिम्स्टेक क्षेत्रीय सहयोग को और सक्रिय बनाया जाए।”
मोदी ने कहा कि यह आवश्यक हो गया है कि हमारी क्षेत्रीय सुरक्षा को और अधिक प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में बिम्स्टेक चार्टर को अपनाया जाना संस्थागत संरचना को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्स्टेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे। मोदी ने कहा कि हमारी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए बिम्स्टेक सचिवालय की क्षमता को बढ़ाना भी जरूरी है। उन्होंने बिम्स्टेक महासचिव को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक रोडमैप बनाने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिम्स्टेक के सदस्य देशों के बीच परस्पर व्यापार बढ़ाने के लिए बिम्स्टेक एफटीए प्रस्ताव पर आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा, “हमारे देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान प्रदान बढ़ाने की भी जरूरत है। इसके साथ ही हमें व्यापार सहयोग के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों को भी अपनाना चाहिए।”
मोदी ने रेखांकित किया कि ‘मौसम और जलवायु के लिए बिम्स्टेक केंद्र’ आपदा प्रबंधन में सहयोग के वास्ते एक महत्वपूर्ण संगठन है। उन्होंने कहा कि इसे और सक्रिय बनाने के लिए बिम्स्टेक देशों के बीच सहयोग होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस केंद्र के काम को पुनः शुरू करने के लिए 30 लाख डॉलर देने को तैयार है। भारत के अलावा बिम्स्टेक में श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमा, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं।
इस शिखर सम्मलेन में ‘बिम्स्टेक चार्टर’ को अपनाया जाएगा जिसके माध्यम से समूह को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और इसके कामकाज के लिए मूलभूत संस्थागत संरचना तैयार होगी। दुनिया की 21.7 प्रतिशत जनसंख्या और 3.8 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी वाले देशों का समूह बिम्स्टेक आर्थिक प्रगति के एक प्रभावी मंच के रूप में उभरा है।