दतिया । दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन में विपक्ष द्वारा किसानों को भड़काया जा रहा है। किसान बिल पूरी तरह से किसानों के पक्ष में है। किसान आंदोलन में बाहरी तत्वों का भी हाथ है, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है। यह बात गुना के सांसद केपी यादव ने सोमवार को स्थानीय सर्किट हाउस पर पत्रकार वार्ता में कही।
यादव ने कहाकि किसानों के लिए बिल में सारी अच्छी बातें हैं, किंतु इस बिल का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। जैसे सीएए और धारा 370 बिल के लिए दुष्प्रचार किया गया था, ठीक उसी प्रकार किसान बिल के लिए भी विपक्ष और वामपंथी दुष्प्रचार कर रहे हैं। कृषि कानून सभी बातों को किसान हित के तहत ध्यान रखकर बनाया गया है। किसानों से इस संदर्भ में लगातार बातचीत भी की जा रही है। कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर व अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस संदर्भ में किसान नेताओं से बात भी कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि मैं भी एक किसान का बेटा हूं, मंडियों में जब दो-तीन दिन तक रुककर किसान को औने पौने दामों में फसल बेचकर जाना पड़ता था, उससे अब किसानों को मुक्ति मिलेगी।
एक सवाल के जवाब में यादव ने कहा कि किसान बिल से किसी भी प्रकार के जमाखोरी को कोई भी बढ़ावा नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के अभी तक के जो भी निर्णय हुए हैं वे देश हित में ही हुए हैं। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि किसान को उसकी उपज का मूल्य मिले और वह आत्महत्या नहीं करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी जिस प्रकार से कृषि क्षेत्र में तरक्की, उन्नति हुई है, वह भी सभी को दिखाई दे रही है। उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि यह किसानों की जमीन छीनने जैसा कोई भी कानून नहीं है। इसे विपक्ष द्वारा किसानों को भ्रमित कर फैलाया जा रहा है।
कांग्रेस को आड़े हाथों लिया
सांसद यादव ने बताया कि यह एक मजेदार बात है कि कांग्रेसी और अन्य दलों के नेता जो कानूनी सुधारों का विरोध कर रहे हैं, वही नेता संसद में इस कानून की वकालत करते थे। स्पष्ट है कि विपक्ष का इस मामले में दोहरा चरित्र सामने आया है। कांग्रेस शासनकाल में कोई भी ऐसा कार्य किसानों के हित में नहीं हुआ जिसका उल्लेख वह कर सके। उन्होंने कृषि बिल को लेकर कई बातें बताते हुए कहाकि किसानों को इससे चुंगी टैक्स पर छूट मिलेगी। किसानों को अपना उत्पाद बेचने के लिए अत्याधुनिक सुविधा और बाजार की तलाश नहीं करना पड़ेगी । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह कि किसान को अपने उत्पाद का मूल्य खुद तय करने का अधिकार होगा।
