नई दिल्ली : भारत के पड़ोसी देश नेपाल में मौत के सौदागर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर रहे हैं। इसका बाजार मुख्य रूप से बिहार ही है। इस मामले का पर्दाफाश पिछले दिनों नेपाल के विराटनगर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन पकड़े जाने के बाद हुआ। नेपाल पुलिस को पता चला है कि एंटीबॉयोटिक स्टासेफ इंजेक्शन का लेबल उखाड़कर इस पर रेमडेसिविर का लेबल लगा दिया जाता है। एंटीबॉयोटिक स्टासेफ व रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी का आकार एक जैसा ही है।
इसका फायदा गलत रेमडेसिविर बनाने वाले लोग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मरीज के स्वजन से इस नकली दवा की कीमत सात से 35 हजार रुपये तक ली जा रही है। इस मामले में नेपाल में गिरफ्तार फार्मेसी संचालक सोनू आलम ने अब तक कितनी नकली रेमडेसिविर दवा बेची, इसका पता विराटनगर पुलिस द्वारा किया जा रहा है।

नेपाल पुलिस कर रही अनुसंधान : मोरंग एसपी संतोष खड़का ने बताया कि जिला पुलिस कार्यालय विराटनगर की विशेष शाखा को नकली दवा के कारोबार की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर विराटनगर के एक अस्पताल के बाहर से दवा दुकानदार सोनू आलम व उसके सहयोगी श्रवण यादव की गिरफ्तारी की गई। उन लोगों के पास से काफी मात्रा में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किया गया। अनुसंधान चल रहा है।
खुली सीमा के रास्ते भारतीय क्षेत्रों में नकली दवा : सूत्रों की मानें तो नेपाल से जोगबनी के रास्ते भारतीय क्षेत्रों में बैठे कुछ माफिया नकली रेमडेसिविर मंगवा रहे हैं। इसे भारतीय क्षेत्र में खपाया जा रहा है। इन इलाकों में इसके कुछ दलालों के सक्रिय होने की बात भी कही जा रही है। इनसे संपर्क कर नकली रेमडेसिविर कोसी व सीमांचल के कुछ निजी नर्सिंग होम में भेजी जा रही है।