हीराकुंड एक्सप्रेस में आतंकी होने की झूठी सूचना से अफरा-तफरी: दतिया स्टेशन पर आधे घंटे तक चली हाई-अलर्ट जांच, साधु वेशधारी व्यक्ति ने फैलाई थी अफवाह

दतिया : अमृतसर से विशाखापत्तनम जाने वाली 20808 हीराकुंड एक्सप्रेस में रविवार दोपहर उस समय अचानक तनाव का माहौल बन गया, जब रेलवे कंट्रोल रूम को फोन पर बताया गया कि ट्रेन के एक जनरल कोच में “आतंकवादी जैसे व्यक्ति” मौजूद हैं। सूचना मिलते ही दतिया और झांसी दोनों जगहों पर पुलिस और रेलवे सुरक्षा एजेंसियों को हाई-अलर्ट पर रखा गया।


पुलिस-आरपीएफ ने की तुरंत कार्रवाई : खबर की गंभीरता को देखते हुए ट्रेन को दतिया स्टेशन पर रोकने का निर्णय लिया गया। करीब 2 बजे ट्रेन जैसे ही प्लेटफॉर्म पर पहुंची, कोतवाली पुलिस, आरपीएफ और जीआरपी की टीमों ने मौके पर पहुंचकर कोचों की तलाशी शुरू कर दी। स्टेशन पर यात्रियों की आवाजाही सुरक्षाबलों की मौजूदगी से कुछ समय के लिए थम गई।


साधु के वेश में मिला कॉल करने वाला व्यक्ति : जांच के दौरान सुरक्षा कर्मियों को वह व्यक्ति मिल गया जिसने कंट्रोल रूम में कॉल किया था। वह साधु के वेश में था और उसने अपना नाम रमेश पासवान बताया। उसने दावा किया था कि कोच में बैठे तीन युवक संदिग्ध हैं, जिसके बाद पुलिस ने इन तीनों को भी कोच से उतारकर थाने पहुंचाया। इनमें शामिल थे:

● इशान खान, निवासी हैवर्ट मार्केट, झांसी
● फैजान मंसूरी, पिता याकूब
● एच. बिलाल जिलानी, पिता मोहम्मद सिद्दकी, निवासी झांसी


पूछताछ में खुला बड़ा खुलासा : जांच आगे बढ़ी तो शुरुआती पूछताछ में स्पष्ट हुआ कि असली कारण किसी आतंकी गतिविधि का शक नहीं था, बल्कि सीट को लेकर हुआ विवाद था। बोगी में झगड़ा बढ़ने पर साधु वेशधारी शख्स ने गुस्से में कंट्रोल रूम को फोन कर दिया और गलत आरोप लगा दिया, जिससे पूरा तंत्र अलर्ट पर आ गया।


किसी भी तरह का संदिग्ध सामान नहीं मिला, 33 मिनट बाद ट्रेन रवाना : आरपीएफ, जीआरपी, बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड ने कोच दर कोच तलाशी ली। करीब 33 मिनट तक जांच चलने के बाद पुष्ट हुआ कि:

● कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं था,
● कोई खतरनाक सामान नहीं मिला,
● ट्रेन में किसी तरह की गैर-कानूनी गतिविधि नहीं थी।

जांच पूरी होने के बाद ट्रेन को 2:35 बजे झांसी के लिए रवाना कर दिया गया।


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