देश के 730 कृषि विज्ञान केंद्रों में जाकर किसान उठाएं लाभ : उपराष्ट्रपति बोले अन्नदाता जागेगा तभी आगे बढ़ पाएगा
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New Delhi News : नईदिल्ली । किसान दाता है और उसे किसी की मदद का मोहताज नहीं होना चाहिए। चित्तौरगढ़ में अखिल मेवाड़ क्षेत्र जाट महासभा को सम्बोधित करते हुए उपरष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि किसान की आर्थिक व्यवस्था में जब उत्थान आता है तो देश की व्यवस्था में उद्धार आता है। बाकी किसान दाता है, किसान को किसी की ओर नहीं देखना चाहिए, किसी की मदद का मोहताज किसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि किसान के सबल हाथों में राजनीतिक ताकत है, आर्थिक योग्यता है।

25 साल पहले हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहाकि मैं यहां 25 साल बाद आया हूं। 25 साल पहले इसी जगह पर एक बहुत अच्छा काम हुआ था। सामाजिक न्याय की लड़ाई की शुरुआत की थी, जाट और कुछ जातियों को आरक्षण मिले। यह शुरुआत 1999 की थी, समाज के प्रमुख लोग यहाँ उपस्थित थे। मैं भी उनमें एक था। हमने इस पवित्र भूमि, देवनगरी, मेवाड़ के हरिद्वार में संरचना की, कार्यसिद्धि मिली और आज उसके नतीजे देश और राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में मिल रहे हैं। उसी आधार पर, उसी सामाजिक न्याय पर, उसी आरक्षण पर जिनको लाभ मिला है, आज वो सरकार में प्रमुख पदों पर हैं। उनको मेरा आग्रह रहेगा कि पीछे मुड़कर जरूर देखें और कभी नहीं भूलें। इस समाज के सहयोग की वजह से, इस समाज के प्रयास की वजह से हमें सामाजिक न्याय मिला। जब भी कोई आंदोलन होता है, ख़ास तौर से आरक्षण से जुड़ा हुआ, लोग आतंकित हो जाते हैं, हिंसक हो जाते हैं, और कई दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। लेकिन हमारा आंदोलन सामाजिक न्याय का दुनिया के लिए सबसे बड़ी मिसाल है। कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, कहीं कोई हिंसा नहीं हुई।

किसानों से कृषि विज्ञान केंद्रों का लाभ लेने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसान को मदद करने के लिए 730 से ज़्यादा कृषक विज्ञान केंद्र हैं। उनको अकेला मत छोड़िए, वहां पर जाइए और उनसे कहिए आप हमारी क्या सेवा करेंगे? नई तकनीकों का ज्ञान लीजिए, सरकारी नीतियों की जानकारी लीजिए। तब आपको पता लगेगा कि सरकार ने आपके लिए खजाना खोल रखा है। जिसकी जानकारी आपको नहीं है।

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सहकारिता क्या कर सकती है आपको जानकारी नहीं है। अगर महीने में दो बार भी जाएंगे, एक तो जो लोग कार्यरत हैं, उनकी नींद खुलेगी, वो सक्रिय होंगे। उनको पता लगेगा, अन्नदाता जाग गया है। अन्नदाता की सेवा करनी पड़ेगी, अन्नदाता हमारा लेखा जोखा ले रहा है,। जब आप लेखा जोखा लेंगे, तो गुणात्मक सुधार आएगा।

अनेक व्यापार किसान के उत्पाद पर चालू हैं। आटा मिल, तेल मिल, अनगिनत हैं। अब मिलकर किसान को पशुधन की ओर ध्यान देना चाहिए। मुझे बड़ी खुशी होती है जब डेयरी बढ़ती है। ज्यादा उछाल आना चाहिए इसमें। हमें दूध तक सीमित नहीं रहना है, छाछ तक सीमित नहीं रहना है, दही तक सीमित नहीं रहना है। जितने उत्पाद दूध के बन सकते हैं, पनीर हो, आइसक्रीम हो, रसगुल्ला हो, किसान का योगदान होना चाहिए।

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