New Delhi News : नईदिल्ली । देश के किसानों को उर्वरकों की लंबे समय तक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत ने दुबई की कंपनी के साथ एमओयू किया है। यह साझेदारियां कुछ वैश्विक कंपनियों द्वारा किए जा रहे कार्टेलाइजेशन की समस्या का भी समाधान करेंगी। यह कहना है केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का। मांडविया को दुबई के मैसर्स एग्रीफील्ड्स के साथ मद्रास फर्टिलाइजर लिमिटेड का समझौता ज्ञापन (एमओयू) प्रस्तुत किया गया।
देश के कृषक समुदाय के लिए डीएपी और एनपीके उर्वरकों की उपलब्धता में सुधार लाने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, मद्रास फर्टिलाइजर लिमिटेड ने तीन वर्षों के लिए सालाना फॉस्फोरिक एसिड सॉल्यूशन का 30,000 एमटी प्राप्त करने के लिए दुबई के मैसर्स एग्रीफील्ड्स के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
फॉस्फोरिक एसिड की इस मात्रा का उपयोग करने के जरिये लगभग 1.67 एलएमटी एनपीके का उत्पादन किया जाएगा। यह एमएफएल के जटिल उर्वरकों की कुल संस्थापित क्षमता (2.8 एलएमटी) के 59.6 प्रतिशत को उत्पादित करने की पी205 आवश्यकता की पूर्ति करेगी।
केंद्रीय मंत्री ने रेखांकित करते हुए बताया कि उर्वरकों, विशेष रूप से डीएपी तथा एनपीके की आपूर्ति में व्याप्त अनिश्चितताओं की पृष्ठिभूमि में किया जाने वाला यह एमओयू कार्टेलाइजेशन के माध्यम से मैनेज करने वाली कुछ वैश्विक कंपनियों के बजाए अर्थव्यवस्थाओं में निष्पक्ष व्यवसाय करने में एक मजबूत भूमिका निभाएगा।
जैसाकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फेटिक उर्वरकों में गिरावट का रुझान देखा जा रहा है। वैसी ही प्रवृत्ति आने वाली तिमाहियों के दौरान फॉस्फोरिक एसिड जैसे उर्वरकों के कच्चे मालों में देखी जानी चाहिए।
खाद के लिए महत्वपूर्ण है कच्चा माल : डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि, ‘‘फॉस्फोरिक एसिड डीएपी एवं अन्य जटिल एनपीके उर्वरकों के विनिर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
कच्चे माल तथा उर्वरक अवयवों के आयात पर भारत की उच्च निर्भरता को देखते हुए सरकार भारतीय किसानों को पी एण्ड के उर्वरकों की दीर्घ अवधि उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक उत्पादकों एवं आपूर्तिकर्ताओं के साथ ऐसी आपूर्ति साझेदारियां करती रही हैं।
उन्होंने जोर देकर कहाकि इस प्रकार के समझौता ज्ञापनों का महत्व आगामी फसली सीजन से पहले और बढ़ गया है क्योंकि यह न केवल देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में योगदान देगा बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने में भी सहायता करेगा।