Datia news : दतिया। जिला अस्पताल में नवजात बच्चे के बदल जाने के आरोप वहां भर्ती प्रसूता के पति और स्वजन ने लगाए हैं। इस मामले में हंगामे के बाद प्रसूता के पति ने नवजात बच्चे के डीएनए टेस्ट की मांग कर डाली। इसे लेकर पुलिस को भी आवेदन दिया गया है। हंगामे की स्थिति को देखते हुए मौके पर पहुंची एसडीओपी प्रियंका मिश्रा ने जांच कराकर कार्रवाई कराने का संबंधितों को आश्वासन दिया।
जिला अस्पताल में प्रसूताओं के नवजात बच्चों की अदला बदली को लेकर जमकर हंगामा मच गया। मामला इतना गरमाया कि पुलिस को अस्पताल पहुंचना पड़ा। इस मामले में जहां एक पक्ष का कहना था कि उसकी पत्नी के बेटा होने की जानकारी अस्पताल नर्स ने दी थी, काफी देर तक उसे नवजात से मिलने नहीं दिया गया। करीब दो-तीन घंटे बाद जब वह किसी तरह से एनआईसीयू वार्ड में अपने बच्चे को देखने गया तो वहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया है। यह सुनकर वह चौंक गया।
पीड़ित ने इस मामले में डीएनए टेस्ट कराने की भी मांग उठाई है। उसका कहना है कि डीएनए टेस्ट के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि कौन सा बच्चा किसका है। वहीं इस मामले में जिला अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इस मामले में प्रथम दृृष्टया किसी स्टाफ की गलती नजर नहीं आई है।
डिलीवरी साथ में होने से हुई शंका : ग्राम बरजोरपुरा निवासी कालीचरण तिवारी ने बुधवार शाम करीब पांच बजे अपनी पत्नी सानू तिवारी को अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती कराया था। वहीं ग्राम मलियापुरा निवासी देवेंद्र भी शाम को अपनी पत्नी मनीषा की पहली डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल लेकर आया था। जहां प्रसूता को भर्ती कर लिया गया था।
देर शाम दोनों प्रसूता को प्रसव पीड़ा होने पर स्टाफ नर्स उन्हें लेबर रुम में ले गई। जहां कुछ मिनिट के अंतराल पर दोनों प्रसूताओं में से एक ने बेटा और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया। बाहर खड़े प्रसूता सानू के पति कालीचरण और मनीषा के पति देवेंद्र व उनके स्वजन को अंदर से खबर मिली की बेटा पैदा हुआ है, बस इसी खबर ने गलतफहमी पैदा कर दी।
डीएनए टेस्ट की उठी मांग : इस मामले में कालीचरण का कहना था कि अस्पताल के स्टाफ ने पहले उसकी पत्नी को यह कहकर लौटा दिया था कि अभी डिलीवरी में आठ दिन का समय है। लेकिन जब उसने निजी अस्पताल में दिखाया तो वहां जानकारी दी गई कि डिलीवरी आज ही नार्मल हो जाएगी। जिसके बाद वह फिर से अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल में आया था।
जहां भर्ती करने के बाद उसकी पत्नी की सामान्य डिलीवरी भी हुई। लेकिन काफी देर तक उसे नवजात से मिलने नहीं दिया गया। स्टाफ कहता रहा कि बच्चा एनआईसीयू में है। जब दो-तीन घंटे बाद वह किसी तरह नवजात को देखने पहुंचा तो उसे बताया गया कि उसके बेटी पैदा हुई है। कालीचरण का आरोप था कि स्टाफ ने पैसे लेकर जानबूझकर उसका बच्चा बदल दिया। इसलिए बच्चों का डीएनए टेस्ट होना चाहिए। ताकि दोनों पक्षों में जिसके जो बच्चे हों वो उन्हें मिल सके।