लखनऊ : बसपा सरकार में बनवाए गए स्मारकों के रखरखाव के लिए एफडी के रूप में जमा कराने के लिए दिए गए 48 करोड़ में से 35 करोड़ रुपये बैंक आफ बड़ौदा (रोशनबाद, लखनऊ पूर्वी) की शाखा से कई माह पहले नोएडा स्थित कोटक महिंद्रा बैंक को ट्रांसफर हुए थे। इनमें से 25 करोड़ रुपये वापस आ गए थे, लेकिन दस करोड़ रुपये आज तक नहीं आए।
यह जानकारी बैंक आफ बड़ौदा के अधिकारियों ने स्मारकों से जुड़े अफसरों को 14 सितंबर, 2021 को दी। हालांकि, पैसा किसके खाते में और किसके अधिकृत हस्ताक्षर से ट्रांसफर किया गया, इसकी जानकारी बैंक अफसरों ने नहीं दी है। कोटक महिंद्रा से यह रकम निकाली गई या फिर आगे किसी को ट्रांसफर हुई, इसकी जांच भी पुलिस करेगी।
स्मारक संग्रहालय के अफसरों ने शुक्रवार को फिर बैंक को पत्र लिखकर बची हुई राशि की एफडी ब्याज समेत जमा कराने के लिए कहा है। उधर, स्मारक संग्रहालयों के 276 और जीपीएफ के 49 करोड़ मिलाकर कुल 325 करोड़ के फिक्स डिपाजिट के सत्यापन के आदेश दिए गए हैं।
मामले की जांच के लिए सदस्य सचिव व लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी एफडी के परीक्षण के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच करा रहे हैं। जांच टीम में वित्त नियंत्रक राजीव सिंह, विशेष कार्याधिकारी राम शंकर, सहायक लेखाधिकारी विनोद श्रीवास्तव और विनोद अवस्थी को जिम्मेदारी दी गई है। यह समिति प्रपत्रों का परीक्षण कर 15 दिन में अपनी जांच आख्या सदस्य सचिव को देगी।
वहीं, गोमती नगर पुलिस ने भी अपने स्तर से मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस की एक टीम ने बैंक पहुंचकर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक फर्जी कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के अलावा इस खेल में तीन से चार लोग जुड़े हैं। बड़े ही सुनियोजित तरीके से हस्ताक्षर बनाकर दस करोड़ का गबन किया गया है। वहीं, प्रबंधक वित्त देवेंद्र मणि उपाध्याय की भूमिका से अभी जांच अधिकारी इन्कार नहीं कर रहे हैं।