नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के साथ संवाद के दौरान न्यायपालिका में संभावित भ्रष्टाचार के एक गंभीर प्रकरण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार आज एफआईआर दर्ज करने में असमर्थ है क्योंकि एक पुराना न्यायिक आदेश बाधा बना हुआ है।
उपराष्ट्रपति ने मार्च 2025 में दिल्ली स्थित एक कार्यरत न्यायाधीश के आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की घटना का उल्लेख करते हुए पूछा, “अगर अपराध हुआ है और सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में नकदी की पुष्टि हुई है, तो एफआईआर क्यों नहीं हुई?” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अनुमति पहले दिन ही दी जानी चाहिए थी, और रिपोर्ट सामने आने के बाद तो निश्चित रूप से।
उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव समाधान नहीं है, बल्कि यदि अपराध सिद्ध होता है तो न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जरूरी है। “अगर न्यायालयों में भी पैसे का प्रभाव पड़ रहा है, तो आम जनता न्याय के लिए कहाँ जाएगी?” उपराष्ट्रपति ने यह प्रश्न उठाया।
बार के सदस्यों से उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में गहन, वैज्ञानिक और निष्पक्ष जांच ही सार्वजनिक विश्वास बहाल कर सकती है। साथ ही, उन्होंने याद दिलाया कि केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को ही संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, न कि अन्य पदाधिकारियों को।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी नागरिकों और संस्थाओं को समान रूप से कानून के अधीन होना चाहिए।
