Datia news : दतिया। आफत की बारिश ने गोरघाट क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए। जिसके चलते गांव के लोग वहां फंसे रह गए। इन गांवों के रास्ते पानी में डूबे होने के कारण लोग घरों से भी बाहर नहीं निकल पा रहे थे। इस स्थिति ने वहां अफरा तफरी मचा दी।
जिसके बाद प्रशासन तक जब गांवों के बाढ़ के पानी से घिरे होने की खबर मिली तो तत्काल वहां बचाव दल मोटरवोट सहित रवाना किए गए। जिसके बाद गांवों से ग्रामीणों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया।
लगातार बारिश और मड़ीखेड़ा बांध से छोड़े जा रहे पानी के कारण सिंध पूरे उफान पर आ गई है। बुधवार को नदी का पानी ने किनारे बसे गांवों को घेर लिया। इस दौरान कोटरा, पाली सहित अन्य आसपास के आधा दर्जन गांवों का रास्ता पूरी तरह जलमग्न हो जाने से गांव टापू बनकर रह गए।
गांव के रिहायशी इलाके तक पानी पहुंच जाने के कारण वहां कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े ने टीम से रेस्क्यू कराकर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरु किया। बाढ़ के हालात को देखते हुए कलेक्टर ने ग्रामीणों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की अपील की है।
कलेक्टर के मुताबिक प्रशासन द्वारा विस्थापित ग्रामीणों के लिए खाने पीने और रहने की व्यवस्था स्कूल आदि में करा दी गई है। ताकि लोगों को वहां परेशानी का सामना न करना पड़ा।
मोटरवोट लेकर घूमी टीमें : इधर एसडीआरएफ की टीमें बुधवार को बाढ़ प्रभावित गांवों में लगातार रेस्क्यू कर ग्रामीणों को उनके घरों से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के काम में जुटी हुई हैं।
जिसके चलते अभी तक एक सैकड़ा से अधिक महिला पुरुषों को मोटरवोट से गांव से बाहर सुरक्षित निकाल लिया गया है। कोटरा गांव चारों ओर से पानी से घिर जाने के कारण वहां सबसे ज्यादा समस्या पैदा हुई।
गांव बना टापू, गिरे मकान : वहीं पाली सुनारी में भी नदी का पानी पहुंचने से वहां बने चार मकान ढह गए। इसके साथ ही लोग रास्ते पानी में डूब जाने के कारण अपने घरों में कैद होकर रह गए। इसे लेकर तत्काल प्रशासन को सूचना दी गई। जिसके बाद वहां भी रेस्क्यू शुरु कराया गया है।
पुलिस और राजस्व की टीम रेस्क्यू अभियान में जुटी हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में कलेक्टर वानखड़े भी पहुंचकर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। वहीं जिन गांवों तक नदी का पानी कुछ घंटों में पहुंचने का संभावना है, वहां से भी लोगों को
सुरक्षित निकाला जा रहा है। इस दौरान ग्रामीण ट्रैक्टर ट्राेलियों में बैठकर गांव छोड़ने लगे हैं। इन सभी विस्थापितों के लिए सभी व्यवस्थाएं प्रशासन स्तर पर कराई जा रही है।


