नई दिल्ली : वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतीपूर्ण स्थिति में जहां एक ओर सेना सीमा पर मोर्चा संभाले हुए है, वहीं दूसरी ओर देश की खाद्य व्यवस्था और ग्रामीण विकास से जुड़े विभाग भी पूरी तरह सक्रिय हैं। कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश में अन्न, दाल, फल और सब्जियों की कोई कमी नहीं है और सभी आवश्यक योजनाएं पहले से तैयार की जा चुकी हैं।
खाद्यान्न भंडार भरपूर, आपूर्ति सुचारु
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024-25 में देश में कुल 3474.42 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है। यह पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। चावल का उत्पादन 1464.02 लाख मीट्रिक टन और गेहूं का अनुमानित उत्पादन 1154.30 लाख मीट्रिक टन है।
अब तक 539.88 लाख मीट्रिक टन धान और 267.02 लाख मीट्रिक टन गेहूं किसानों से खरीदा जा चुका है। मंत्रालय के अनुसार, यह खरीद प्रक्रिया अभी भी जारी है।
फल-सब्ज़ियों की स्थिति संतोषजनक
बागवानी फसलों का उत्पादन भी संतुलित बताया गया है। वर्ष 2024-25 में देश में कुल 3621 लाख मीट्रिक टन बागवानी फसलें (फल-सब्ज़ियां) पैदा हुई हैं।
◉ आलू: 595.70 लाख मीट्रिक टन
◉ प्याज: 288.77 लाख मीट्रिक टन
◉ टमाटर: 215.49 लाख मीट्रिक टन

इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि आपूर्ति श्रृंखला फिलहाल सामान्य है और बाज़ार में किसी उत्पाद की कमी की आशंका नहीं है।
सीमावर्ती राज्यों के लिए विशेष योजना
कृषि मंत्रालय ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्यों में किसानों की सहायता के लिए विशेष योजनाओं की रूपरेखा तैयार की है। युद्ध जैसी परिस्थितियों में गांव खाली होने की स्थिति में बोई जाने वाली फसलों के बीज, रोपण सामग्री और तकनीकी सहायता पहले से तैयार रखी जा रही है। स्थानीय प्रशासन और मुख्यमंत्रियों के साथ समन्वय कर ज़रूरतों का मूल्यांकन किया जाएगा।
ग्रामीण रोजगार और सेवा भावना पर फोकस
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भी संभावित विस्थापनों को ध्यान में रखते हुए, विस्थापित परिवारों के लिए तत्काल रोजगार योजनाएं लागू करने का निर्णय लिया है। साथ ही, 14 मई को कृषि मंत्रालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी रक्तदान करेंगे, जो संकट की घड़ी में सामाजिक सहयोग की भावना को दर्शाता है।
निष्कर्ष: तैयार है ज़मीन से ज़िम्मेदारी तक की व्यवस्था
कृषि और खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से देश इस समय पूरी तरह तैयार स्थिति में है। सरकार का लक्ष्य है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में नागरिकों को खाद्यान्न और अन्य ज़रूरी वस्तुओं की कोई कमी महसूस न हो। इस दिशा में नीति और कार्यान्वयन, दोनों स्तरों पर सक्रिय कदम उठाए गए हैं।