डिज़ाइनर फर्नीचर आयात में करोड़ों की धोखाधड़ी का पर्दाफाश : डीआरआई की कार्रवाई में खुला 30 करोड़ से अधिक की सीमा शुल्क चोरी का नेटवर्क

नई दिल्ली |  राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने एक सुनियोजित और व्यापक आयात धोखाधड़ी मामले का भंडाफोड़ किया है, जिसमें ब्रांडेड लग्ज़री फर्नीचर के अवमूल्यन और गलत घोषणा के जरिए ₹30 करोड़ से अधिक की सीमा शुल्क चोरी का अनुमान है।


खुफिया सूचना पर देशभर में छापेमारी : विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर डीआरआई अधिकारियों ने कई राज्यों में गोदामों, व्यावसायिक परिसरों, माल भाड़ा एजेंटों और सीमा शुल्क दलालों के कार्यालयों पर तलाशी अभियान चलाया। जांच में सामने आया कि फर्जी आयातकों (IEC धारकों), विदेशी छद्म कंपनियों और स्थानीय बिचौलियों की मिलीभगत से जाली चालानों के माध्यम से करोड़ों का लग्ज़री फर्नीचर कम मूल्य पर घोषित कर सीमा शुल्क से बचा गया।


दुबई और सिंगापुर की कंपनियों का नेटवर्क : जांच में खुलासा हुआ कि इटली और अन्य यूरोपीय देशों से आने वाले महंगे ब्रांडेड फर्नीचर को दुबई स्थित फर्जी कंपनियों के नाम पर चालान किया गया। इसके बाद सिंगापुर स्थित बिचौलियों के जरिए भारत में फर्जी आयातकों के नाम से जाली चालानों पर माल भेजा गया। कस्टम क्लियरेंस के बाद माल को स्थानीय बिचौलियों की मदद से लाभकारी स्वामियों तक पहुँचा दिया गया।


70 से 90 प्रतिशत तक का कम मूल्यांकन : डीआरआई की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविक लेनदेन मूल्य का 70% से 90% तक कम मूल्य घोषित किया गया, जिससे ₹30 करोड़ से अधिक की सीमा शुल्क चोरी की गई। मामले में तीन प्रमुख व्यक्तियों को 21 और 22 जुलाई को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत गिरफ्तार किया गया।


मई 2025 में भी पकड़ा गया था एक समान मामला : इससे पहले मई 2025 में भी डीआरआई ने एक अग्रणी कंपनी के जरिए चलाए जा रहे इसी तरह के एक रैकेट का खुलासा किया था, जिसमें ₹20 करोड़ से अधिक की शुल्क चोरी पाई गई थी और तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई थी।


बड़ी जांच जारी, नियमों से खेलने वालों पर कड़ा शिकंजा : डीआरआई अब फर्जी कंपनियों, मास्टरमाइंड, आईईसी धारकों और वित्तीय प्रवाह की गहराई से जांच कर रहा है। विभाग ने कहा है कि इस तरह की वाणिज्यिक धोखाधड़ी केवल सरकारी राजस्व को नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि ईमानदार आयातकों और घरेलू उद्योगों के लिए असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण भी बनाती है।

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