नई दिल्ली : राष्ट्रीय गुणवत्ता सम्मेलन 2025 न केवल सैन्य गुणवत्ता के मानकों पर चर्चा का मंच बना, बल्कि यह आयोजन एक स्पष्ट संदेश लेकर आया — भारत अब अपनी रक्षा तैयारियों में न केवल आत्मनिर्भर बन चुका है, बल्कि दुनिया को भी भरोसेमंद रक्षा साझेदार बनने की दिशा में मजबूती से बढ़ रहा है। इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने देश की सैन्य शक्ति, औद्योगिक प्रगति और वैश्विक स्तर पर ‘ब्रांड इंडिया’ के उदय की एक प्रेरणादायक झलक पेश की।
सम्मेलन की सबसे बड़ी गूंज थी — हाल ही में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में स्थित नौ आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई के पीछे हमारी अजेय और पेशेवर सेनाएं थीं, जो उच्च गुणवत्ता वाले स्वदेशी उपकरणों से सुसज्जित हैं। इस मिशन में एक भी निर्दोष नागरिक को नुकसान न पहुँचाते हुए, आतंकवाद पर सटीक और कड़ी कार्रवाई को अंजाम देना भारतीय सैन्य कौशल और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रमाण है।
संयम के साथ जवाबी कार्रवाई का संकल्प
सम्मेलन के दौरान मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत ने हमेशा एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभाई है, लेकिन यदि कोई हमारे संयम की परीक्षा लेगा, तो उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना होगा। उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि भारत की संप्रभुता की रक्षा में कोई सीमा बाधक नहीं बन सकती, और देश किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।
गुणवत्ता और तकनीक से बनेगा रक्षा का नया भविष्य
सम्मेलन का विषय था — “एकीकृत दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी-सक्षम प्रक्रियाओं के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन में तेजी लाना” — और इसी दिशा में रक्षा मंत्री ने ध्यान दिलाया कि अब गुणवत्ता केवल निरीक्षण तक सीमित नहीं रह सकती, बल्कि उसे वास्तविक समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीकों से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के देश पुनः शस्त्रीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, तब भारत के पास एक अवसर है — अपनी गुणवत्ता से अंतरराष्ट्रीय भरोसा जीतने का।
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की नई उड़ान
सम्मेलन में 2014 से शुरू हुए रक्षा क्षेत्र के आत्मनिर्भरता अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि अब भारत हथियारों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि जब हम विदेश से रक्षा उपकरण खरीदते हैं, तो वास्तव में हम अपनी सुरक्षा किसी और के भरोसे छोड़ते हैं। सरकार ने इस सोच को बदला है, और यही कारण है कि आज भारत का रक्षा औद्योगिक ढांचा अभूतपूर्व रूप से सशक्त हो चुका है।
ब्रांड इंडिया: विश्वास का प्रतीक
रक्षा मंत्री ने ‘ब्रांड इंडिया’ की संकल्पना को विस्तार देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब दुनिया भारत से रक्षा उपकरण खरीदे, क्योंकि वह गुणवत्ता और समयबद्धता में किसी भी वैश्विक मानक से कम नहीं। उन्होंने कहा कि अगर कोई भारतीय कंपनी कुछ वादा करती है, तो वह हर हाल में उसे पूरा करती है — यही हमारी पहचान होनी चाहिए।
रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक उछाल और भविष्य की योजना
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने ₹24,000 करोड़ के रक्षा निर्यात का रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिसे 2029 तक ₹50,000 करोड़ तक पहुँचाने का लक्ष्य है। भारत की दीर्घकालिक योजना 2047 तक दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक बनने की है। इसके लिए आवश्यक है कि भारत के रक्षा उत्पाद वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और विश्वसनीयता का पर्याय बनें।
QA 4.0: रक्षा गुणवत्ता में डिजिटल क्रांति
सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया QA 4.0 फ्यूचर रोडमैप इस बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसमें स्मार्ट तकनीकों जैसे कि IoT-सक्षम परीक्षण, स्वचालित डेटा कैप्चर, डिजिटल डैशबोर्ड और AI-आधारित मूल्यांकन को अपनाया गया है। इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन प्रक्रिया को अधिक कुशल, तेज और त्रुटिरहित बनाना है।
नए विधेयक और नवाचार की रणनीति
सम्मेलन में भारतीय सैन्य उड़ान योग्यता विधेयक का मसौदा भी प्रस्तुत किया गया, जो सैन्य विमानों और हवाई प्रणालियों के प्रमाणन के लिए एक वैधानिक ढांचा प्रदान करेगा। इसके साथ ही, आयुध भंडारण के स्वदेशीकरण को लेकर रणनीतिक सत्रों का आयोजन हुआ।
सम्मेलन की समाप्ति: सामूहिक संकल्प का प्रदर्शन
सम्मेलन का समापन इस आश्वासन के साथ हुआ कि गुणवत्ता केवल उत्पादों में नहीं, बल्कि दृष्टिकोण, साझेदारी और प्रक्रिया में भी झलके। DGQA के महानिदेशक एन मनोहरन ने बताया कि यह सम्मेलन रक्षा और उद्योग के हितधारकों के बीच सहयोग को मजबूत करने में सफल रहा है और इससे रक्षा गुणवत्ता मानकों में नवाचार और मानकीकरण को बल मिलेगा।