धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में दो दिवसीय उल्लास मेले का किया उद्घाटन, कहा – खेल-आधारित मॉडल अध्‍ययन को सरल और आनंददायक बनाता है

नई दिल्ली  : केन्‍द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय बाल भवन, नई दिल्ली में दो दिवसीय उल्लास मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्‍द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री  अन्नपूर्णा देवी; स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के सचिव,  संजय कुमार; कौशल विकास एवं उद्यमिता सचिव,अतुल कुमार तिवारी; डीओएसईएल की संयुक्त सचिव  अर्चना शर्मा अवस्थी; एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी; राष्ट्रीय साक्षरता केन्‍द्र (सीएनसीएल) प्रकोष्‍ठ कीप्रभारी  ऊषा शर्मा; और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने सीएनसीएल, एनसीईआरटी और सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों द्वारा विकसित संसाधन सामग्रियों को प्रदर्शित करने वाले स्टालों का भी दौरा किया।

कार्यक्रम में प्रधान ने कहा कि सौ फीसदी साक्षरता विकसित भारत का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने यह भी कहा कि उल्लास उन लोगों के जीवन में नए रंग फैला रहा है जो शिक्षा का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें मौलिक साक्षरता और गणना के साथ-साथ सामान्य जरूरतों से संबंधित विषयों में कुशल बना रहे हैं।

उन्होंने सभी से कार्यक्रम में भाग लेकर इसे जन आंदोलन बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, छात्रों को भी इस अभियान में भाग लेना चाहिए और नए क्रेडिट आर्किटेक्चर के तहत छात्र दूसरों को साक्षर बनने में मदद करके क्रेडिट अंक अर्जित करेंगे।

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 प्रधान ने जोर देकर कहा कि अगर जन आंदोलन को सफल बनाना है तो सीखने-सिखाने के तरीके को सरल और आनंददायक बनाना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों की पसंद और आवश्यकता के आधार पर शिक्षण पद्धति को डिजाइन करने के लिए ईमानदार प्रयास किए जाने चाहिए।  प्रधान ने यह भी कहा कि पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य खेल, लोक भाषा और दैनिक कार्य से जुड़ी चीजों पर आधारित ज्ञान वितरण प्रणाली के जरिये ही हासिल किया जा सकता है।

उन्होंने उन राज्यों के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने एक ऐसा मॉडल अपनाया है जो अध्‍ययन को सरल और मनोरंजक बनाने के लिए खेल-आधारित है। उन्होंने कहा कि ये मॉडलों को शिक्षार्थियों के बीच अधिक स्वीकार्य बनाते हैं। उन्होंने संसाधन सामग्री जैसे हैंडबुक, डिजिटल कैप्सूल आदि विकसित करने और इसे कौशल से जोड़ने के लिए विशेषज्ञों की 7 दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने का भी सुझाव दिया।

कार्यक्रम में बोलते हुए अन्नपूर्णा देवी ने नवसाक्षरों एवं स्वयंसेवकों को उनके प्रयास के लिए बधाई दी। उन्होंने एनईपी2020 की कल्पना करने और वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों के लिए बजट प्रावधान करने के लिए प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि साक्षरता से परे, यह कार्यक्रम नवसाक्षरों को 21वीं सदी के कौशल जैसे ऑनलाइन लेनदेन, फॉर्म भरना, हस्ताक्षर आदि से लैस कर रहा है। उन्होंने अपनी संसाधन सामग्री प्रदर्शित करने के लिए राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के प्रयासों की सराहना की जो अन्य राज्यों को प्रेरित करेगी। उन्होंने सभी को साक्षरता मिशन में भाग लेने और प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया।

 संजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सभी हितधारकों के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करती है, जो प्रत्येक बच्चे के लिए मूलभूत साक्षरता और गणना पर जोर देती है। उन्होंने उल्लास में स्‍वैच्छिक सेवा की भावना के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एनआईओएस द्वारा आयोजित परीक्षा में 40 लाख से अधिक नवसाक्षरों ने भाग लिया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उल्‍लास न केवल डिजिटल और वित्तीय साक्षरता पर ध्यान केन्‍द्रित करता है बल्कि महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक कौशल भी प्रदान करता है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे ऐसे लोगों की पहचान करें जो साक्षरता का अवसर चूक गए और उन्हें साक्षर बनने में सक्षम बनाएं और सभी के लिए पूर्ण साक्षरता तक पहुंचने के उद्देश्य से साक्षरता पहल में सहयोग करें।

कार्यक्रम के दौरान उल्लास के उपलब्धि हासिल करने वालों, स्वयंसेवकों और पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। उल्लास संक्षिप्त प्राइमर एवं मार्गदर्शिका (एनसीईआरटी); उल्लास प्राइमर्स/मार्गदर्शिका (राज्य एवं केन्‍द्र शासित प्रदेश); उल्लास पर जिंगल (एनसीईआरटी); उल्लास: डॉक्यूमेंट्री फिल्म (एमओई); और मोबाइल है सही – क्रिटिकल लाइफ स्किल्स पर लघु एनिमेटेड फिल्म (एनसीईआरटी) को भी मंत्री द्वारा डिजिटल रूप से जारी किया गया।

सरकार 2030 तक 100 प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए, वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम या न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम नामक एक केन्‍द्र प्रायोजित अभिनव योजना लागू कर रही है। यह योजना लोकप्रिय रूप से उल्लस के नाम से जानी जाती है: अंडरस्‍टैंडिंग ऑफ लाइफलोंग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी, अपहोल्डिंग द मोटो ‘जन-जन साक्षर’ (समाज में सभी के लिए आजीवन अध्‍ययन की समझ, आदर्श वाक्य “जन-जन साक्षर” को कायम रखना)। यह योजना 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी गैर-साक्षरों पर लक्षित है। यह योजना, एनईपी 2020 के अनुरूप, उन वयस्कों (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) को लक्षित करती है जो स्कूल नहीं जा सकते या औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। यह महत्वपूर्ण जीवन कौशल जैसे डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, पर्यावरण साक्षरता, स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और गणना (एफएलएन) प्रदान करने पर केन्‍द्रित है। हाइब्रिड मोड में लागू, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में ऑफ़लाइन, ऑनलाइन, या संयुक्त दृष्टिकोण में लचीलापन है।

इस योजना में पाँच घटक शामिल हैं: (i) मूलभूत साक्षरता और गणना; (ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल; (iii) बुनियादी शिक्षा; (iv) व्यावसायिक कौशल; और (v) निरंतर शिक्षा। उल्लास को स्वैच्छिकवाद, नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने, राष्ट्र निर्माण के प्रति कर्तव्य या कर्तव्य बोध पर जोर देने के माध्यम से लागू किया जाना है। यह योजना भारत को जन-जन साक्षर बनाकर भारत के विकास में योगदान देती है। उल्‍लास ऐप को शिक्षार्थियों, स्वयंसेवकों को पंजीकृत करने के लिए विकसित किया गया है और इसमें उनके लिए शिक्षण अध्‍ययन सामग्री भी शामिल है। शिक्षार्थियों को सितंबर और मार्च में साल में दो बार मूल्यांकन के माध्यम से साक्षर के रूप में प्रमाणित किया जाता है।

अधिकांश राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में उल्लास के तहत पर्याप्त गतिविधियां संचालित की गई हैं। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय गतिविधियों को प्रदर्शित करने के लिए सीएनसीएल, एनसीईआरटी के सहयोग से 6-7 फरवरी, 2024 को उल्लास मेला का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम में राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के उन नव-साक्षरों को सम्मानित करने सहित विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी, जिन्होंने फाउंडेशनल लिटरेसी न्यूमेरेसी असेसमेंट टेस्ट (एफएलएनएटी) में सफल प्रमाणित किया है, स्थानीय भाषाओं में राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के उल्लास संक्षिप्त प्राइमरों का शुभारंभ, ‘सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों’ पर सत्र, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह के दौरान आयोजित, पैनल चर्चा, पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरण शामिल होंगे। इस आयोजन में विभिन्न राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सात सौ प्रतिभागियों के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों और विभिन्न संगठनों के 100 से अधिक गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे।

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