New Delhi News : नई दिल्ली । कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे देश के लिए अच्छी खबर है। देश के उत्तरी और दक्षिणी भाग में सामान्य तो मध्य क्षेत्र में जमकर बरसात होने का अनुमान है। पूरब और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश हो सकती है, लेकिन कुल मिलाकर इस साल मानसून सामान्य रहने वाला है। हालांकि इस साल केरल के तट पर मानसून दो दिन की देरी से तीन जून को पहुंचने वाला है। दक्षिण पश्चिम मानसून 2021 के लिए अपना दूसरा पूर्वानुमान जारी करते हुए आइएमडी के महानिदेशक ने बताया कि देश में जून में मानसून सामान्य रहने का पूर्वानुमान है जो बुवाई का भी मौसम होता है।
कुल मिलाकर इस साल सामान्य मानसून रहने का अनुमान है। इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद की जा रही है। जिससे खेती में मदद मिलेगी। देश में जून से सितंबर के दौरान मानसून की बारिश के दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 101 फीसद रहने की संभावना है। इसमें चार फीसद कम या ज्यादा की आदर्श त्रुटि हो सकती है। सामान्य बरसात का पूर्वानुमान अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है, जो कोरोना महामारी के चलते बुरी स्थिति में है। अच्छी बारिश का मतलब है कि इससे खेती को फायदा होगा, क्योंकि देश के बड़े भाग में कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियां चार महीने के मानसून के इस मौसम पर आधारित हैं।
अच्छी बारिश से उपज बढ़िया होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सामान्य से ज्यादा बरसात होगी आइएमडी ने अपने पहले पूर्वानुमान में इस साल एलपीए का 98 फीसद बारिश होने की संभावना जताई थी। 40 फीसद संभावना सामान्य बारिश की है, 22 फीसद संभावना सामान्य से अधिक वर्षा की है, 12 फीसद संभावना अत्यधिक बारिश होने की है तथा 18 फीसद संभावना सामान्य से कम वर्षा की है। दीर्घावधि औसत यानी एलपीए बरसात की मात्रा को मापने का पैमाना है। एलपीए देश में 50 साल यानी 1961 से 2010 के बीच हुई औसत बरसात है जो 88 सेंटीमीटर है। एलपीए के 96 से 104 फीसद के बीच की बरसात को सामान्य वर्षा माना जाता है।
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