New Delhi news : नई दिल्ली । आखिरकार सरकार ने पूरे देश में विरोध का कारण बन रहे तीनों कृषि बिल लोगों को वापस लेने की घोषणा कर ही दी। सरकार की इस घोषणा के बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। समझा जाता है कि सरकार के इस कदम के बाद पिछले कुछ महीनों से चला आ रहा किसान आंदोलन भी अब समाप्त हो सकेगा और बॉर्डर पर डेरा डाले किसान अपने घरों को लौट पाएंगे।
इधर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार ने उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए यह बड़ा कदम उठाया है। ताकि इस प्रदेश में भाजपा को किसानों के विरोध का सामना न करना पड़े। बता दें कि पिछले पश्चिम बंगाल चुनाव मे किसानों ने भाजपा के विरोध में प्रचार किया था। कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पीएम मोदी ने की है। इस संबंध में पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। पीएम मोदी ने कहा सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले रही है।
देश ने अपने ग्रामीण बाजार के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया। हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले।
उन्होंने कहा कि बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए थे। जिन्हें वापस लिया जा रहा है।