कौशल विकास पर सरकार का जोर :  4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य, 2 लाख करोड़ रुपये की घोषणा

नई दिल्ली : वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2024-25 में देश में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें रोजगार और कौशल को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री के पैकेज के एक भाग के रूप में, 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय द्वारा समर्थित पांच प्रमुख योजनाओं और पहलों की घोषणा की गई है। यह पैकेज 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल और अन्य अवसर प्रदान करेगा।

इन पहलों का उद्देश्य कौशल विकास, महिला कार्यबल में भागीदारी, सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम उद्योगों को समर्थन और पूंजीगत बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के अतिरिक्त रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देना है। इन उपायों का देश के रोजगार परिदृश्य पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन पांच योजनाओं में से तीन को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के माध्यम से लागू किया जाएगा, जो नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को प्रोत्साहित करके कार्यबल के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहित करेगा। ये रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं पहली बार कर्मचारियों को पहचानने और कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को व्यापक समर्थन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

योजना ए: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के साथ पंजीकृत औपचारिक क्षेत्र में पहली बार कामगार के रूप में शामिल होने वाले कर्मचारियों को तीन किस्तों में एक महीने का वेतन (15,000 रुपये तक) प्रदान करती है।

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योजना बी: इस योजना में विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इससे पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारी और उनके नियोक्ता लाभान्वित होंगे। मुख्य रूप से कर्मचारियों और नियोक्ताओं को रोजगार के पहले चार वर्षों में ईपीएफओ में उनके अंशदान को देखते हुए लाभ प्रदान किये जाएंगे। एक लाख रुपये तक के वेतन वाले कर्मचारी इस योजना के पात्र होंगे।

योजना सी: अतिरिक्त रोजगार प्रोत्साहन की इस योजना में एक लाख रुपये तक प्रति माह वेतन वाले प्रत्येक प्रत्येक कर्मचारी के लिए सरकार उनके ईपीएफओ अंशदान को देखते हुए दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह की प्रतिपूर्ति करके नियोक्ताओं को सहायता प्रदान करेगी।

बजट में श्रम कल्याण के लिए प्रमुख सुधार भी प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें अन्य प्लेटफार्मों के साथ ई-श्रम पोर्टलों का व्यापक एकीकरण, कौशल आवश्यकताओं, नौकरी की भूमिकाओं के लिए वन-स्टॉप समाधान की सुविधा और नौकरी के इच्छुक लोगों को संभावित नियोक्ताओं और कौशल प्रदाताओं से जोड़ना शामिल है। यह श्रम कल्याण, रोजगार, कौशल आदि के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में ई-श्रम की स्थापना को सुगम बनाएगा।

एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा में उद्योग अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और श्रमिकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र का विस्तार करने के लिए श्रम सुविधा और समाधान पोर्टलों का पुनरुद्धार शामिल है।

प्रधानमंत्री-पैकेज के अंतर्गत शेष दो योजनाएं भी कौशल और इंटर्नशिप के अवसरों को बढ़ाने की दिशा में हैं, इससे रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।

योजना डी: राज्य सरकारों और उद्योग के सहयोग से अगले पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की घोषणा की गई। इसके साथ ही उद्योग कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को उन्नत किया जाएगा।

योजना ई: अगले पांच वर्षों में 500 शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना, जिसमें 5,000 रुपये प्रति माह का इंटर्नशिप भत्ता और 6,000 रुपये की एकमुश्त सहायता शामिल है। इससे उन्हें वास्तविक व्यवसायिक वातावरण से परिचित होने का अवसर मिलेगा।

कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, बजट में उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और क्रेच स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने और महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) उद्यमों के लिए बाजार पहुंच को बढ़ावा देने का प्रस्ताव है।

बजट में घोषित अन्य पहल जो एक विविध और सुदृढ़ मजबूत नौकरी बाजार को बढ़ावा देने में योगदान देंगी, उनमें अन्य बातों के अलावा शामिल हैं:

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से रोजगार सृजन: पूंजीगत व्यय को 11 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने से निर्माण, परिवहन और रसद जैसे क्षेत्रों में कई रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इस कदम से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी और अल्प रोजगार को दूर करने की उम्मीद है।

उद्यमिता को प्रोत्साहित करना: स्टार्ट-अप और एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता और कर लाभ उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देंगे। इससे रोजगार के विविध अवसर सृजित होंगे।

ग्रामीण रोजगार और आजीविका: मनरेगा के लिए बढ़ी हुई फंडिंग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सुनिश्चित करेगी, ग्रामीण समुदायों का समर्थन करेगी और शहरी केंद्रों की ओर पलायन को कम करेगी।

विनिर्माण और सेवाओं को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किए जाने वाले बारह औद्योगिक पार्कों के साथ 100 शहरों में पूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ “प्लग एंड प्ले” औद्योगिक पार्कों की स्थापना से नए उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इससे लाखों नौकरियां सृजित होंगी। 2024-25 का बजट सतत विकास, रोजगार और स्वरोजगार के लिए अभूतपूर्व अवसरों के सृजन, कौशल संवर्धन और सामाजिक कल्याण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो विकसित भारत के लिए एक सुदृढ़ नींव रखता है।

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