GST अधिकारियों ने 2020-21 में 35,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का किया खुलासा, 426 लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली : जीएसटी चोरी को लेकर सरकार की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते गत वित्त वर्ष (2020-21) में 35,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के 8,000 मामलों का भंडाफोड़ किया गया।

सीजीएसटी जोन और जीएसटी इंटेलीजेंस डायरेक्टरेट के प्रयासों से इस चोरी को पकड़ने में कामयाबी मिली। जीएसटी की चोरी मुख्य रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) प्राविधान के दुरुपयोग के तहत की जा रही थी।

इस सख्ती की वजह से जीएसटी के संग्रह में बढ़ोतरी हो रही है। पिछले वर्ष अक्टूबर से लेकर इस वर्ष मई तक जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार रहा। सीजीएसटी जोन और जीएसटी इंटेलीजेंस डायरेक्टरेट के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के दौरान जीएसटी चोरी में सीए, वकील जैसे 14 पेशेवर सहित 426 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

फर्जी आइटीसी का फायदा लेने में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए नौ नवंबर, 2020 को फर्जी जीएसटी इनवॉयस के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया था जो अब तक जारी है। हालांकि, बीते दो-तीन महीनों के दौरान कोविड महामारी की वजह से यह अभियान सुस्त पड़ गया था। लेकिन धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलने से राष्ट्रीय स्तर पर फिर से अभियान शुरू कर दिया है।

इस महीने के दौरान सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले धोखेबाजों के खिलाफ जीएसटी इंटेलीजेंस डायरेक्टरेट और सभी केंद्रीय जीएसटी दलों की कार्रवाई तेज हो गई हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान 500 से ज्यादा फर्जी मामलों का पता लगा है और 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) अधिकारी धोखेबाजों को पकड़ने के लिए आधुनिक आईटी टूल, डिजिटल साक्ष्यों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अन्य सरकारी विभागों से सूचना भी जुटा रहे हैं।

अभियान के दौरान कुछ जानी-मानी कंपनियों के खिलाफ फर्जी आइटीसी का लाभ लेने के मामले भी दर्ज किए गए। सरकारी खजाने को फर्जी तरीके से नुकसान पहुंचाने वाले लोगों की तलाश और उनके खिलाफ कार्रवाई जल्द ही तेज होने की संभावना है।

हाल के कुछ प्रमुख मामलों में नागपुर जोन इकाई द्वारा तीन कंपनियों के खिलाफ दर्ज मामला शामिल है, जिसमें गलत तरीके से 214 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) पास करने और धोखाधड़ी से आईटीसी के रिफंड का दावा किया गया था।

इन कंपनियों ने फर्जी किरायेनामा करार और फर्जी बिजली के बिल जमा किए थे, जबकि पंजीकृत व्यावसायिक पते सिर्फ कागजों पर मौजूद थे। ये कंपनियां पाइप और सिगरेट के लिए स्मोकिंग मिक्सचर जैसे एक सामान्य उत्पाद का निर्यात दिखा रही थीं जिन पर 28 फीसद जीएसटी लगता है।

एक अन्य मामले में चंडीगढ़ जोनल इकाई ने 115 करोड़ रुपये के अवैध आइटीसी को पास कराने के लिए फर्जी कंपनियों का संचालन करने वाले मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया गया। डीजीजीआइ सूरत जोन इकाई ने अवैध आइटीसी का एक मामला दर्ज किया गया,

जिसमें ऐसी कंपनियां इनवॉयस की आपूर्ति और 300 करोड़ रुपये का अवैध आईटीसी पास करने से जुड़ी थीं जिनका अस्तित्व ही नहीं था। सीजीएसटी जयपुर जोन ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जी आइटीसी का लाभ लेने में शामिल कई फर्जी कंपनियों के शामिल होने के मामले का पता लगाया,

जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। सीजीएसटी दिल्ली जोन ने 551 करोड़ रुपये की फर्जी इनवॉयस तैयार करने और 91 करोड़ रुपये का अवैध आइटीसी पास करने में शामिल 23 इकाइयों के एक नेटवर्क का राजफाश किया था। 

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