नई दिल्ली : कर्नाटक में हाल ही में लागू किए गए जीएसटी दरों के युक्तिकरण (Rationalization) से राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा की गई दरों की समीक्षा के बाद कॉफी, डेयरी, काजू, वस्त्र, हस्तशिल्प और ड्रोन जैसे उद्योगों को राहत दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल उत्पादन और निर्यात में वृद्धि करेगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन को भी प्रोत्साहित करेगा।
कॉफी और कृषि आधारित उद्योगों को सीधी राहत : कर्नाटक देश का प्रमुख कॉफी उत्पादक राज्य है, और जीएसटी में युक्तिकरण से कॉफी प्रोसेसिंग इकाइयों को लागत में सीधी राहत मिलेगी। इसके साथ ही डेयरी और काजू उद्योगों को भी दरों में कमी से लाभ होगा, जिससे स्थानीय किसानों और सूक्ष्म उद्योगों का मुनाफा बढ़ सकता है।
हस्तशिल्प और लघु उद्योगों के लिए अवसर : राज्य में पारंपरिक उद्योग जैसे कि चंदन, बांस, मिट्टी और हाथ से बने उत्पादों को भी नई नीति के तहत सहूलियतें दी गई हैं। इससे ग्रामीण उद्यमियों और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए बाजार तक पहुँच आसान होगी।
तकनीकी उद्योगों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा : कर्नाटक, जो भारत का तकनीकी केंद्र माना जाता है, वहाँ जीएसटी ढाँचे में सुधार से आईटी, एआई और ड्रोन निर्माण से जुड़े स्टार्टअप्स को भी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा। विशेषज्ञ इसे राज्य की अर्थव्यवस्था के “विविधीकरण और संतुलन” की दिशा में अहम कदम मानते हैं।
राजकोषीय स्थिरता और पारदर्शिता की दिशा में कदम : जीएसटी दरों के युक्तिकरण के साथ-साथ कर प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटल निगरानी प्रणाली को भी सुदृढ़ किया जा रहा है। इस पहल से न केवल कर चोरी पर अंकुश लगेगा, बल्कि व्यवसायों को अनुपालन में आसानी होगी। वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कर संग्रह में स्थिरता आएगी और राज्यों को समय पर राजस्व हस्तांतरण सुनिश्चित होगा। नीति-निर्माताओं के अनुसार, यह सुधार केवल कर संरचना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दीर्घकाल में निवेश, व्यापार सुगमता और आर्थिक संतुलन को भी बढ़ावा देगा।


