नई उपलब्धि : पारादीप पोर्ट ने एक दिन में ही 6 लाख से अधिक मीट्रिक टन का नया रिकॉर्ड किया हासिल !

नई दिल्ली  : पारादीप पोर्ट ने 14 दिसंबर 2022 को एक ही दिन में 6,49,730 मीट्रिक टन के सर्वाधिक कार्गो ट्रैफिक का प्रबंधन कर एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है। पीपीए के अध्यक्ष पी.एल.हरनाध ने इस शानदार उपलब्धि पर टीम पीपीए को बधाई दी है। उन्होंने अन्य सभी हितधारकों को उनके निरंतर सहयोग और अपार योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।

यह ध्यान योग्य बात है कि पारादीप पोर्ट ने हाल ही में उत्तरी गोदी की ड्रेजिंग की थी, जिसके बाद केआईसीटी बर्थ पर 1,46,554 टन कोकिंग कोयला ले जाने वाले 16.20 मीटर ड्राफ्ट के केप पोत एमवी गोल्डन बार्नेट को सफलतापूर्वक बर्थ किया था।

जैसा विदित है कि यह पोर्ट चालू वित्त वर्ष में प्रतिष्ठित 125 एमएमटी कार्गो प्रबंधन स्तर के लिए होड़ कर रहा है। ऐसे में पारादीप पोर्ट बेहतर गुणवत्ता, दक्षता और स्तरीय अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए यहां पर केप हैंडलिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए हितधारकों को आमंत्रित करता है।

भारत-ब्रिटेन कार्यशाला ने दोनों देशों के पर्यावरणीय लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में सचिव डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर ने पर्यावरणीय  लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को विशिष्‍ट रूप से दर्शाया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और निगरानी समाधानों की दिशा में निरंतर प्रयासों और शुद्ध लक्ष्यों को हासिल करने के उद्देश्‍य से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए तकनीकी-आधारित रास्तों को अपनाना शामिल हैं। डा. श्रीवारी ने कम लागत वाले पर्यावरण सेंसरों पर कल आयोजित भारत-ब्रिटेन स्कोपिंग वर्कशॉप में यह बात कही।

कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर डीएसटी के कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि डीएसटी सक्रिय रूप से सीसीयूएस में अनुसंधान एवं विकास और क्षमता निर्माण को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है और इसने इंडियन सीओ2 सिक्वेस्ट्रियन एप्लाइड रिसर्च (आईसीओएसएआर) नेटवर्क की स्थापना की है।

दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन डीएसटी और यूकेआरआई/एनईआरसी द्वारा संयुक्त रूप से 14 से 15 दिसम्‍बर 2022 तक किया गया है ताकि पर्यावरण सेंसरों के क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन में शैक्षणिक समुदायों के बीच सहयोग बनाने के लिए अनुसंधान और स्टार्ट-अप के लिए अंतराल और अवसरों की पहचान की जा सके।

Indo-UK

स्वच्छ जल पर भारत ब्रिटेन संयुक्त कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, जिसके तहत सेंसरों पर कार्यशाला आयोजित की गई, डॉ. चंद्रशेखर ने बताया, “डीएसटी, प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद (एनईआरसी) ब्रिटेन और यूकेआरआई की इंजीनियरिंग और भौतिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ईपीएसआरसी) के संयुक्त कार्यक्रम का उद्देश्य स्रोतों और दोनों देशों में उभरते प्रदूषकों के अंत की बेहतर समझ प्रदान करके और कम लागत वाले पर्यावरण निगरानी सेंसरों (एलईएमएस) के विकास के माध्यम से प्रबंधन रणनीतियों का समर्थन करके पानी की गुणवत्ता में सुधार करना है।”

कार्यक्रम के दौरान, डॉ. चंद्रशेखर और भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्जेंडर एलिस ने कम लागत वाले पर्यावरण सेंसरों और कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) पर दो भारत-ब्रिटेन स्कोपिंग रिपोर्ट जारी की।

डॉ. चंद्रशेखर ने बताया, “डीएसटी और यूकेआरआई ने संयुक्त रूप से मौजूदा अनुसंधान परिदृश्य की मैपिंग पर काम किया है, और पर्यावरण सेंसरों पर भारत-ब्रिटेन रिपोर्ट मैपिंग कार्य का परिणाम है जिसे भारत और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से शुरू किया था। यह भारत और ब्रिटेन में पर्यावरण सेंसरों में मौजूदा और चल रहे शोध परिदृश्य की रूपरेखा तैयार करता है और द्विपक्षीय सहयोग के अवसरों की पहचान करने का प्रयास करता है।”

उन्होंने कहा, “सीसीयूएस पर यह इंडो-यूके स्कोपिंग रिपोर्ट इस डोमेन में अनुसंधान और विकास को समझने और दोनों देशों में पूरक ताकत और अंतराल की पहचान करने के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग का परिणाम है।”

उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि सीसीयूएस पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनोवेशन चैलेंज आईसी#3 पर सहयोगी अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन (आरडी और डी) के लिए ब्रिटेन सहित अन्य 21 सदस्य देशों के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय एमआई प्लेटफॉर्म का हिस्सा बन गया। डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा, ब्रिटेन, और अन्य एसीटी सदस्य देश भी सर्वोत्तम वैश्विक कार्य प्रणालियों को अपनाने के लिए बहुपक्षीय त्वरित सीसीयूएस टेक्नोलॉजीज (एसीटी) मंच में भाग ले रहे हैं।”

UKINDIA_Sensors workshop3

भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्जेंडर एलिस ने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों पिछले साल सहमत हुए थे कि निरंतर विकास लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन उनके सहयोग के बुनियादी स्तंभ हैं। उन्‍होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, हमें नीति और कार्यों के लिए पर्याप्त डेटा की आवश्यकता है और साथ ही उपयुक्त प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाने की भी आवश्यकता है। इसलिए, समय की आवश्यकता कम लागत वाली पर्यावरण निगरानी सेंसर है। “

डीएसटी और यूकेआरआई/एनईआरसी/ईपीएसआरसी के अधिकारियों के साथ-साथ दोनों पक्षों के डोमेन विशेषज्ञों ने पर्यावरण सेंसरों पर स्कोपिंग कार्यशाला में भाग लिया।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter