Datia News : दतिया । जिले के लगभग 122 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोमवार से खुल जाएंगे। इसके अलावा 92 निजी हायर सेकेंडरी व हाईस्कूल हैं, जो लंबे समय बाद खुलने जा रहे है। इन सरकारी स्कूलों में से कई खस्ताहाल है। कई स्कूल गंदगी के ढेर में तब्दील हो रहे हैं।
ऐसे में नए शिक्षा सत्र शुरू होने के दौरान नए विद्यार्थियों को कई समास्याओं से रूबरू होना पड़ेगा। 10 दिनों पूर्व स्कूल खुलने की तारीख घोषित होने के बावजूद ग्रामीण अंचलों के स्कूलों की हालत बेहद खराब है। लगभग तीन दर्जन स्कूलों के लिए मरम्मत और सुधार कार्य के आवेदन लंबित हैं। जिनके निराकरण की प्रक्रिया चल रही है।
निजी व शासकीय स्कूलों में 11वीं में नए प्रवेश करने वाले बच्चों की संख्या लगभग 49 हजार के करीब है। ऐसी स्थिति में नए शिक्षा सत्र को लेकर अनेक परेशानियां मुंह बाए खड़ी है। जिला शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षा विभाग का अमला इस मामले में महज खानापूर्ति कर रहे हैं। शासकीय शिक्षक संघ ने भी इस संबंध में शिक्षा विभाग को अवगत कराया है। हालांकि आगामी एक सप्ताह में सारी व्यवस्था ठीक करने का दावा किया जा रहा है।
जिले में नया शिक्षा सत्र सोमवार से प्रारंभ होने जा रहा है। इसके तहत जिला प्रशासन ने कोरोना गाइड लाइन जारी की है। कोरोना गाइड लाइन के तहत स्कूल में मुख्य द्वार एवं कक्षाओं में सैनिटाइजर रखे जाने की व्यवस्था होना आवश्यक है। इसके साथ ही अभी 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ यह स्कूल शुरू किए जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की गाइड लाइन को लेकर कोई तैयारी नहीं है। लगभग उन 49 हजार दसवीं पास छात्र, 11वीं के 19 हजार से अधिक छात्र 12वीं में प्रवेश करने वाले है। इसी तरह कोरोना को लेकर भी जिला प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं स्कूलों के लिए की है।
लंबे समय बाद खुल रहे स्कूल
जिले में कुल 122, 9वीं से लेकर 12वीं तक के शासकीय स्कूल है। जिनमें से कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के स्कूल खोले जाने प्रस्तावित है। इनमें से निजी 92 स्कूल है। शासकीय स्कूलों में तो फिर भी जगह की समस्या कम होती है, किंतु निजी स्कूलों में किस प्रकार से कोरोना गाइड लाइन का पालन होगा, यह कहना अभी असंभव नजर आ रहा है।
लगभग 60 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं इन स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के दौरान पहुंचेंगे। वर्तमान में 50 फीसद उपस्थिति तय की गई है। इस तरह 30 हजार के लगभग विद्यार्थियों तो इन स्कूलों में आएंगे ही, यह तय है। इसके साथ ही कोरोना नियमों के तहत प्रत्येक स्कूल में प्रवेश द्वार पर ही साबुन, पानी तथा सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाना आवश्यक है। जो अभी कही-कही ही दिखाई दे रही है।
कई स्कूल खस्ताहाल, कैसे होगी शुरूआत
जिले में कई सरकारी स्कूल अभी भी महीनों से बंद पड़े होने के कारण खस्ता हालत में है। इनमें से भलका के स्कूल में पानी लीकेज की समस्या अभी भी शिक्षा विभाग के पास लंबित पड़ी है। बता दें कि स्कूल मरम्मत का कार्य पीआईयू निर्माण एजेंसी के तहत किया जाता है।
इसके लिए बजट स्वीकृत करके सीधे इन्हें राशि आबंटित की जाती है। जिले के हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों में अनेक जगह शौचालय खराब स्थिति में है। इसके अलावा कई स्कूलों में दरवाजे आदि भी टूटे हुए हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग कब तक इन्हें ठीक कर पाता, यह तय नहीं है।
शिक्षकों का भी नहीं हुआ वैक्सीनेशन
जिला स्तर पर नए शिक्षा सत्र की सोमवार से शुरुआत हो रही है। इसमें 8 से 9 हजार शिक्षक अपने अध्यापन का कार्य करेंगे। इनमें से लगभग 4500 शिक्षकों का ही वैक्सीनेशन हुआ है। शेष अन्य शिक्षकों का या तो प्रथम डोज या फिर दूसरा डोज लगना बाकी है। ऐसी स्थिति में शिक्षक भी बगैर वैक्सीनेशन के ही अध्यापन कार्य करेंगे।
निजी स्कूलों की तो बात ही अलग है। निजी स्कूलों में भी पांच से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। उनके टीकाकरण का डाटा शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम के प्रयास शिक्षा विभाग में बेमानी साबित हो रहे हैं।
इस संबंध में डीपीसी शिक्षा विभाग, दतिया राजेश पैंकरा ने बताया कि नए शिक्षा सत्र को लेकर हमारी सारी तैयारियां पूरी है। स्कूल खुलने के बाद 50 फीसद विद्यार्थी ही पहुंचेंगे, अतः शिक्षा सत्र शुरू होते ही कुछ काम पूरे कर लिए जाएंगे। अभी 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ स्कूल शुरू किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में सत्र की शुरूआती एक सप्ताह में पूरा मामला रूटीन में आ जाएगा।