हार्ट ऑफ इंडिया के साथ लंग्स ऑफ इंडिया बनेगा मप्र : नई नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 का क्रियान्वयन आरंभ

भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 2027 तक मध्यप्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 20 हजार मेगावॉट होगी। मध्यप्रदेश को हार्ट ऑफ इंडिया के साथ लंग्स ऑफ इंडिया बनाने के मार्ग पर राज्य सरकार अग्रसर है।

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा जलवायु परिवर्तन के लिए ग्लासगो के सम्मेलन में दिए गए पंचामृत मंत्र और भारत की सभी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने की दिशा में मध्यप्रदेश हरसंभव योगदान देगा। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना अद्भुत है। विश्व में वर्तमान में 10 फ्लोटिंग सोलर प्लांट हैं। ओंकारेश्वर परियोजना, जल पर बनने वाली विश्व की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना होगी।

मुख्यमंत्री  कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में 600 मेगावॉट ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना के अनुबंध हस्ताक्षर समारोह तथा ऊर्जा साक्षरता अभियान की ऊर्जा आंकलन मार्गदर्शिका के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

महत्वपूर्ण बिंदु –
● ओंकारेश्वर परियोजना विश्व की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना
● मध्यप्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2027 तक होगी 20 हजार मेगावॉट
● परियोजना में सोलर पैनल लगने से भोपालवासियों के 124 दिन के पेयजल के बराबर होगी जल की बचत
● 12 लाख मीट्रिक टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन रूकेगा
यह एक करोड़ 52 लाख पेड़ लगाने के बराबर है
● चंबल के बीहड़ों में होगा सौर ऊर्जा उत्पादन
● प्रदेश में नई नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 का क्रियान्वयन आरंभ
● मुख्यमंत्री ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत उद्यमियों और निवेशकों को किया आमंत्रित
● स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों को दिया जाएगा बिजली बचाने का प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना के अनुबंध पर हुए हस्ताक्षर
● ऊर्जा साक्षरता अभियान की ऊर्जा आंकलन मार्गदर्शिका विमोचित

मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष  गिर्राज दण्डोतिया, विधायक मंधाता नारायण पटेल, प्रमुख सचिव ऊर्जा तथा नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा  संजय दुबे और नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं के अधिकारी उपस्थित थे। वन मंत्री कुँवर विजय शाह तथा नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण मंत्री  हरदीप सिंह डंग ने कार्यक्रम में वर्चुअल सहभागिता की। मुख्यमंत्री  ने कन्या-पूजन और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री न ने कहा कि ओंकारेश्वर परियोजना के प्रथम चरण में 278 मेगावॉट की क्षमता स्थापित होगी। यह परियोजना इस दृष्टि से भी अद्भुत है, क्योंकि परियोजना के क्रियान्वयन में भूमि की आवश्यकता नहीं है। परिणामस्वरूप किसी का भी विस्थापन नहीं होगा। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि जल आधारित परियोजना में बिजली का उत्पादन भूमि आधारित सोलर परियोजना की तुलना में अधिक होता है। पानी की सतह पर सौर पैनल लग जाने से पानी भाप बनकर नहीं उड़ेगा।

इससे 60 से 70 प्रतिशत तक पानी को बचाया जा सकेगा। यह भोपालवासियों के 124 दिन के पीने के पानी के बराबर होगा। साथ ही प्लांट लग जाने से पानी में शैवाल जैसी वनस्पतियाँ कम विकसित होंगी और पानी पीने लायक बना रहेगा।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि परियोजना से 12 लाख मीट्रिक टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। यह एक करोड़ 52 लाख पेड़ लगाने के बराबर है। प्रदेश वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति नवकरणीय ऊर्जा से करने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रहा है। राज्य सरकार ने नई नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 का क्रियान्वयन आरंभ कर दिया है। प्रदेश में ग्रीन सिटी के विकास की अवधारणा को भी मूर्त रूप दिया जा रहा है।

छतरपुर, मुरैना, आगर, शाजापुर और नीमच जिलों में सौर परियोजनाओं का कार्य जारी है। हम प्रधानमंत्री  मोदी के संकल्प के अनुरूप अन्नदाता किसान को ऊर्जा दाता बनाने के लिए भी कुसुम योजना में सक्रिय हैं। ग्राम स्तर तक सोलर पैनल के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सभी शासकीय कार्यालयों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। चंबल के बीहड़ों की भूमि को सुधार कर क्षेत्र का उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन में किया जाएगा। मुख्यमंत्री  ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य कर रहे उद्यमियों और निवेशकों को मध्यप्रदेश में गतिविधियाँ संचालित करने के लिए आमंत्रित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना जन-भागीदारी से ही किया जा सकता है। इसके लिए केवल चिंता करने से नहीं, बल्कि इस दिशा में कार्य करने से ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन के साथ बिजली बचाने पर ध्यान देना आवश्यक है।

ऊर्जा साक्षरता अभियान की ऊर्जा आंकलन मार्गदर्शिका का विमोचन इसी उद्देश्य से किया गया है। अभियान में स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों और जन-साधारण को बिजली बचाने के लिए संवेदनशील और जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित करना होगा। यदि बिजली बचाने में हम सक्रिय रहते हैं तो 4 हजार करोड़ रूपए तक की बिजली बचाई जा सकती है।

आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित धरती छोड़ना हमारी जिम्मेदारी है। सौर और पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन, बिजली-पानी बचाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने से ही हम धरती की सेवा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए आश्वस्त हो पाएंगे।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  चौहान के नेतृत्व में प्रधानमंत्री  मोदी के सपनों के अनुरूप नवकरणीय ऊर्जा में प्रदेश नए आयाम स्थापित कर रहा है। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष  गिर्राज दण्डोतिया ने कहा कि ओंकारेश्वर परियोजना जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच ऊर्जा का सुरक्षित स्त्रोत है। इससे भूमि की भी बचत होगी, जिसका उपयोग प्रदेश में कृषि तथा अन्य उद्योगों की स्थापना में किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री  चौहान की उपस्थिति में एनएचडीसी लिमिटेड, एएमपी एनर्जी तथा एसजेव्हीएन लिमिटेड के साथ अनुबंध हस्ताक्षर तथा उनका आदान-प्रदान किया गया। कलेक्टर शाजापुर दिनेश जैन का सौर ऊर्जा में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान किया गया। ऊर्जा साक्षरता अभियान पर लघु फिल्म का प्रदर्शन हुआ तथा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। प्रमुख सचिव ऊर्जा  संजय दुबे ने कार्यक्रम की जानकारी दी।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter