ज्यादातर राज्यों में स्कूली शिक्षा में अभी भी काफी सुधार की जरूरत, PGI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

नई दिल्ली  : शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसई&एल) ने आज 2020-21 और 2021-22 के लिए जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (पीजीआई-डी) पर संयुक्त रिपोर्ट जारी की, जो व्यापक विश्लेषण के उद्देश्य से एक सूचकांक तैयार कर जिला स्तर पर विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली विश्‍व के सबसे बड़े शिक्षा तंत्रों में से एक है। इस प्रणाली में लगभग 14.9 लाख विद्यालय, 95 लाख शिक्षक और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लगभग 26.5 करोड़ छात्र समाहित हैं। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्यों हेतु प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (पीजीआई-डी) को तैयार किया है और संदर्भ वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए रिपोर्ट जारी की है। राज्य पीजीआई की सफलता से उत्साहित होते हुए स्कूली शिक्षा में सभी जिलों के प्रदर्शन को श्रेणीबद्ध करने के लिए 83-संकेतक आधारित जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (पीजीआई-डी) तैयार किया गया है।

इसमें जिलों द्वारा डाटा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भरा जाता है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि पीजीआई-डी राज्य शिक्षा विभागों को जिला स्तर पर कमियों की पहचान करने और विकेंद्रीकृत तरीके से उनके प्रदर्शन में सुधार करने में सहायता करेगा। संकेतक-वार पीजीआई आकलन उन क्षेत्रों को प्रदर्शित करता है, जहां पर किसी भी जिले को सुधार की आवश्यकता है। 2018-19 और 2019-20 की पीजीआई-डी रिपोर्ट पहले ही जारी की जा चुकी है और वर्तमान विवरण 2020-21 और 2021-22 के लिए संयुक्त दस्तावेज है।

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पीजीआई-डी संरचना के 83 संकेतकों में 600 अंकों की कुल वेटेज शामिल है, जिन्हें 6 श्रेणियों में बांटा गया है, जैसे परिणाम, प्रभावी कक्षा कार्यसम्पादन, बुनियादी ढांचा सुविधाएं व विद्यार्थियों के अधिकार, स्कूल सुरक्षा एवं बाल संरक्षण, डिजिटल लर्निंग तथा प्रशासनिक प्रक्रिया। इन श्रेणियों को 12 डोमेन में विभाजित किया गया है, जिनमें सीखने के नतीजे व गुणवत्ता (एलओ), अधिगम परिणाम (एओ), शिक्षक उपलब्धता एवं व्यावसायिक विकास प्रतिफल (टीएपीडीओ), शिक्षण प्रबंधन (एलएम), शिक्षण संवर्धन गतिविधियां (एलईए), बुनियादी ढांचा, सुविधाएं, विद्यार्थियों के लिए अवसर (आईएफ एंड एसई), विद्यालय सुरक्षा और बाल संरक्षण (एसएस एंड सीपी), डिजिटल लर्निंग (डीएल), धनराशि अभिसरण तथा उपयोग (एफसीवी), सीआरसी प्रदर्शन को बढ़ावा देना (सीआरसीपी), उपस्थिति निगरानी प्रणाली (एएमएस) और विद्यालयी नेतृत्व विकास (एसएलडी) शामिल हैं।

पीजीआई-डी जिलों को दस श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। इसके अनुसार उच्चतम प्राप्‍त ग्रेड दक्ष है, जो उस श्रेणी में या कुल मिलाकर 90 प्रतिशत  से अधिक अंक प्राप्त करने वाले जिलों के लिए है। पीजीआई-डी में सबसे निचले ग्रेड को आकांशी-3 कहा जाता है, जो कुल अंकों के 10 प्रतिशत तक के स्कोर के लिए है। पीजीआई – डी का अंतिम उद्देश्य जिलों को स्कूली शिक्षा में हस्तक्षेप के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहायता करना और इस प्रकार उच्चतम ग्रेड तक पहुंचने में सुधार करना है।

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