Datia News : दतिया। कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई गई। इस दौरान प्रसिद्ध मां पीतांबरा मंदिर पर करीब 2100 दीप प्रज्ज्वलित किए गए। जिससे पूरा मंदिर परिसर दीयों की जगमगाहट से रोशन हो गया।
कुछ देर के लिए मंदिर की लाइटें भी बंद कर दी गई। जिसके बाद दीपमालिकाओं में मंदिर की छटा देखते ही बनती थी। कार्तिक पूर्णिमा पर हर वर्ष मां पीतांबरा के दरबार में यह आयोजन बड़ी धूमधाम के साथ होता है।
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म के अनुसार देव दीपावली (देवताओं की दीपावली) के रूप में मनाया जाता है। पूरे मंदिर में 2100 दीपक जलाए गए, जिससे पूरा मंदिर दीपक की रोशनी से जगमगा गया।
कार्तिक पूर्णिमा को पीतांबरा पीठ के सेवक व साधकों द्वारा देव दीपावली के रूप में मनाते हैं। इस मौके पर सूर्यास्त होते ही मंदिर परिसर की बिजली बंद कर दी गई। पूरे मंदिर को दीपों से सजाया गया।
मंदिर के सेवकों ने परिसर के हर कोने में दीप प्रज्ज्वलित किए। श्रद्धालुओं ने भी मंदिर में जगह-जगह दीप प्रज्ज्वलित कर परिसर को रोशन कर दिया।
देव दिवाली के इस आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं को हर वर्ष इंतजार रहता है। मंदिर परिसर में सभी श्रद्धालुओं को दीपक लगाने की इस मौके पर छूट दी जाती है।
पौराणिक कथा है कि त्रिपुरासुर राक्षस के आतंक से स्वर्ग व पृथ्वी लोक के वासी परेशान थे। देवता ऋषि भी राक्षस के आतंक से परेशान थे। सभी ने भगवान भोलेनाथ से सहायता मांगी और भगवान भोलेनाथ ने राक्षस का वध कर दिया।
इससे देवता प्रसन्न हुए व सभी देवता भोलेनाथ की नगरी काशी पहुंचे और दीपक जलाकर खुशी व्यक्त की। जिस दिन सभी देवता काशी पहुंचे थे उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी।
इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। इसकी खुशी में भी कार्तिक पूर्णिमा का महत्व है।