‘मीठी क्रांति : केंद्र सरकार शहद के निर्यात को बढ़ाने पर दे रही हैं जोर ,किसानों से गुणवत्ता सुनिश्चित करने का किया आह्वान

नई दिल्ली  : मधुमक्खी पालन और उससे संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)’  की परिकल्पना के अनुरूप शहद की निर्यात क्षमता का दोहन करने के लिए केंद्र  सरकार ने राज्य सरकारों और किसानों के सहयोग से देश भर में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित करने की योजना बनाई है।

ऐसा ही एक कार्यक्रम चंडीगढ़ में निर्यातकों, हितधारकों और सरकारी अधिकारियों को शामिल करते हुए शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय  के अंतर्गत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए – एपीडा), द्वारा आयोजित किया जाना है जिसमें  गुणवत्ता उत्पादन सुनिश्चित करके किसानों को शहद उत्पादन  के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया भर में शहद की प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर विशेषताओं और चीनी के एक स्वस्थ विकल्प के कारण इसकी खपत में कई गुना वृद्धि को देखते हुए एपीडा का लक्ष्य  अब नए देशों में गुणवत्ता उत्पादन और बाजार विस्तार सुनिश्चित करके शहद के निर्यात को बढ़ावा देना है। वर्तमान काल में  भारत का प्राकृतिक शहद निर्यात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के  बाजार पर निर्भर है जो इस निर्यात का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।

शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के एक हिस्से के रूप में  सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के लिए तीन साल (2020-21 से 2022-23) की अवधि हेतु 500 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है।

‘मन की बात‘ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा था कि आयुर्वेद में शहद को बहुत महत्व दिया गया है। शहद को अमृत के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा था  कि आज शहद उत्पादन में इतनी संभावनाएं हैं कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने वाले युवा भी इसे स्वरोजगार का माध्यम  बना रहे हैं।

width="500"

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए – एपीडा) के अध्यक्ष डॉ एम अंगमुथु ने कहा है कि  “हम गुणवत्तापूर्ण शहद निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्य श्रृंखला में राज्य सरकार, किसानों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि भारत शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों द्वारा लगाए गए शुल्क ढांचे पर भी फिर से बातचीत कर रहा है।

एपीडा (एपीईडीए) विभिन्न योजनाओं, गुणवत्ता प्रमाणन और प्रयोगशाला परीक्षण के अंतर्गत सरकारी सहायता प्राप्त करने के अलावा निर्यात बाजारों तक पहुंचने में शहद उत्पादकों को सहायता प्रदान कर रहा है।

एपीडा निर्यातकों के साथ उच्च माल ढुलाई लागत, उच्चतम (पीक)  शहद निर्यात सीजन में कंटेनरों की सीमित उपलब्धता, उच्च परमाणु चुंबकीय अनुनाद परीक्षण लागत और अपर्याप्त निर्यात प्रोत्साहन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी काम कर रहा है।

भारत ने  वर्ष 1996-97 में अपना पहला संगठित निर्यात शुरू किया था और  74,413 मीट्रिक टन (एमटी) प्राकृतिक शहद का निर्यात किया हैI  जिसका मूल्य 2012-22 में 16 करोड़ 37 लाख 30 हजार अमरीकी डालर है और  जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका ने 59,262 मीट्रिक टन का एक बड़ा हिस्सा लिया है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, नेपाल, मोरक्को, बांग्लादेश और कतर भारतीय शहद के अन्य शीर्ष गंतव्य थे।

वर्ष 2020 में  वैश्विक शहद निर्यात 7.36 लाख मीट्रिक टन दर्ज किया गया था तथा  भारत शहद उत्पादक और निर्यातक देशों में क्रमशः 8 वें और 9वें स्थान पर था। 2020 में, कुल शहद उत्पादन 16 लाख 20 हजार  मीट्रिक टन आंका गया था और  जिसमें सभी  पराग (नेक्टर) स्रोतों, कृषि उपजों, वन्य पुष्पों और वन्य वृक्षों से निकाला गया शहद शामिल था।

देश का पूर्वोत्तर  क्षेत्र और महाराष्ट्र भारत में शहद के प्रमुख प्राकृतिक उत्पादक क्षेत्र हैं और देश  में उत्पादित किए गए का लगभग 50 प्रतिशत घरेलू स्तर पर खप जाता  है जबकि शेष का दुनिया भर में निर्यात किया जाता है।

वाणिज्यिक आसूचना और सांख्यिकी महानिदेशालय  (डीजीसीआईएस) के अनुसार,  कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए – एपीडा) ने अप्रैल-जून 2022 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 30.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करके 7.41 अरब अमरीकी डालर का कुल निर्यात हासिल किया है।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
close