G20 इंडिया हेल्थ ट्रैक के दौरान मेडिकल वैल्यू ट्रैवल पर जोर, जानिए क्या है मेडिकल वैल्यू ट्रैवल

नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने आज तिरूवनंतपुरम, केरल में जी-20 के स्वास्थ्य कार्यकारी समूह की तीन दिवसीय बैठक के समापन समारोह में कहा कि “मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी असमानताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पहली स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक के माध्यम से, 

भारत की अध्यक्षता में जी-20 का उद्देश्य इस अंतर को पाटने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना है।” उन्होंने कहा कि मेडिकल वैल्यू ट्रैवल चिकित्सा संबंधी प्रयास के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखने, सुधार करने या बहाल करने पर केंद्रित हो सकता है।

इस अवसर पर डॉ. पॉल ने कहा कि मेडिकल वैल्यू ट्रैवल क्षेत्र में आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करने का एक शानदार अवसर है, जो कि 23 प्रतिशत से ज्यादा की संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। साथ ही, उन्होंने एक सुदृढ़ और टिकाऊ एमवीटी संरचना तैयार करने की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा कि चिकित्सा कराने के लिए किसी अन्य देश की यात्रा करने के बजाय मेडिकल वैल्यू ट्रैवल इलाज करवाने के लिए चिकित्सा प्रयास के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखने, सुधार करने या बहाल करने पर केंद्रित हो सकता है। उन्होंने कहा कि, “इसे गुणवत्तापूर्ण और लागत प्रभावी चिकित्सा देखभाल, पारदर्शी मूल्य निर्धारण, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल स्थलों तक निर्बाध यात्रा, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की प्राप्ति और कम प्रतीक्षा समय में चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करके प्राप्त किया जा सकता है।”

डॉ. पॉल ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए चार प्रमुख कारकों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी प्रगति को शामिल करना; एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से समग्र उपचार पर ध्यान केंद्रित करना; संस्थागत प्रक्रियाओं का व्यवस्थापन, मानकीकरण, प्रमाणीकरण और व्यवस्थीकरण करते हुए प्रभावी गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करना; और स्वास्थ्य, आतिथ्य व यात्रा सेवाओं का सामंजस्य करने के लिए हितधारकों के बीच साझेदारी बनाना शामिल है।

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मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए इकोसिस्टम को मजबूत करने पर बल देते हुए, डॉ. पॉल ने इसके लिए एक समर्पित बोर्ड और एजेंसी की स्थापना सहित प्रभावी शासन और नीतिगत संरचना की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं और चिकित्सा यात्रा सुविधा प्रदाताओं के लिए मानकों व मान्यता विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और मेडिकल वैल्यू ट्रैवल में डिजिटलीकरण को सक्षम बनाने की बात की।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बीमा पॉलिसियों के अंतर्गत चिकित्सा बीमा पोर्टेबिलिटी और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की कवरेज उपलब्धता सुनिश्चित करने, उदार वीजा नीति के माध्यम से पहुंच एवं रोगी सुविधा बढ़ाने और बेहतर हवाई संपर्क व स्वास्थ्य देखभाल उद्यमों और कर्मचारियों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

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डॉ. पॉल ने जोर देकर कहा कि एक केंद्र के आकर्षण को बढ़ावा देने के लिए, गुणवत्ता, सामर्थ्य, स्वास्थ्य सेवाओं में विशेषज्ञता, कम प्रतीक्षा समय में उपचार, सुविधाजनक संचार, तकनीकी प्रगति को शामिल करने और चिकित्सा बीमा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इकोसिस्टम का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है। इस संबंध में, उन्होंने जी-20 के सदस्य देशों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की दिशा में समन्वित प्रयास करने, 

स्वास्थ्य सेवा और कल्याण सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए सरकार, उद्योग, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के बीच स्थायी सहयोग बनाने, दुनिया भर में उपलब्ध संसाधनों के उपयोग में सुधार लाने व सस्ती सुविधाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सुदृढ़ मेडिकल वैल्यू ट्रैवल इकोसिस्टम का निर्माण करने और अंतर्राष्ट्रीय लोगों के लिए वित्तीय कठिनाइयों के बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के लिए समन्वित प्रयास करने का आग्रह किया।

भारत की कोशिशों और दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए देश की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए “हील इन इंडिया” पहल की शुरूआत करेगी, “हील बाय इंडिया” पहल अन्य देशों में स्वास्थ्य सेवा कार्यबल भेजने के लिए। उन्होंने टेलीमेडिसिन क्षेत्र में भारत की विशाल क्षमता पर भी बल दिया जो “हील फ्रॉम इंडिया” पहल का मार्ग प्रशस्त करता है।

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पैनलिस्टों ने जी2जी, बी2जी, बी2बी और बी2सी स्तरों पर साझेदारी के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण ज्ञान का आदान-प्रदान, सीमा पार सहयोग, बहु-क्षेत्रीय साझेदारी पर बल दिया। हितधारकों ने जीवंत और मजबूत वैश्विक नियामक नेटवर्क बनाने के संदर्भ में भी बात की। उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास में पारंपरिक चिकित्सा प्रदाताओं और शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक मजबूत सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसमें बीमा, नैदानिक परीक्षण, अनुसंधान एवं विकास और सबसे महत्वपूर्ण मानकीकरण के महत्व को स्पष्ट किया गया। सदस्य देशों द्वारा एकीकृत और व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति भारत के दृष्टिकोण की सराहना की गई। उन्होंने रोगी केंद्रित उपचार और प्राचीन तौर-तरीकों के साथ मानसिक स्वास्थ्य समाधान प्रदान करने वाले उपायों की सराहना की।

इस बैठक में राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय,  लव अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय,  विशाल चौहान, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय, जी-20 सदस्य देशों के प्रतिनिधि, विशेष आमंत्रित देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, मंचों के प्रतिनिधि, डब्ल्यूएचओ, विश्व बैंक, डब्ल्यूईएफ आदि जैसे भागीदार और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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