नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में 1 बिलियन टन से अधिक माल ढुलाई का रिकॉर्ड पार कर लिया है। रेलवे के माल परिवहन नेटवर्क में यह उपलब्धि न केवल संचालन क्षमता का प्रमाण है, बल्कि बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ती मांग और बेहतर लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर का संकेत भी देती है।
कोयला, इस्पात और सीमेंट उद्योग बने प्रमुख आधार : भारतीय रेलवे के अनुसार, इस साल माल ढुलाई में वृद्धि मुख्य रूप से कोयला, इस्पात, सीमेंट और खाद्यान्न जैसे क्षेत्रों में बढ़ते परिवहन के कारण हुई है।
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कोयला सेक्टर ने कुल माल ढुलाई में सबसे बड़ी हिस्सेदारी निभाई, जिससे ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकताओं को समय पर पूरा करने में सहायता मिली।
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इस्पात उद्योग से भी भारी मात्रा में लदान बढ़ा, जिसके पीछे निर्माण क्षेत्रों में बढ़ती मांग मुख्य कारण रही।
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सीमेंट सेक्टर में भी दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की गई, जो देश के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की रफ्तार को दर्शाती है।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, समग्र औद्योगिक गतिविधियों में सुधार और तेज़ी से हो रहे शिपमेंट मूवमेंट के चलते माल ढुलाई की मात्रा में यह उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला।
मॉडर्नाइजेशन और नेटवर्क अपग्रेड का असर : रेलवे ने बीते कुछ वर्षों में माल ढुलाई बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं—
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तेज़ गति वाले फ्रेट कॉरिडोर
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अत्याधुनिक वैगन
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डिजिटल फ्रेट बुकिंग सिस्टम
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माल गोदामों और टर्मिनलों का विस्तार
इन पहलों के चलते ट्रेन ऑपरेशन और टर्नअराउंड टाइम में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। अधिकारियों के अनुसार, आधुनिक तकनीक के उपयोग और माल ढुलाई प्रक्रिया के डिजिटलीकरण से पारदर्शिता और दक्षता दोनों बढ़ी हैं।
लॉजिस्टिक सेक्टर में मिलेगा बड़ा प्रोत्साहन : रेलवे की यह उपलब्धि देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाती है। 1 बिलियन टन से अधिक माल की ढुलाई यह दर्शाती है कि रेलवे बड़े औद्योगिक केंद्रों और बंदरगाहों के लिए एक भरोसेमंद, तेज़ और किफायती माध्यम के रूप में उभर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और नए रूटों के विस्तार से माल ढुलाई क्षमता और बढ़ेगी। इससे न केवल औद्योगिक विकास को समर्थन मिलेगा, बल्कि सड़क और बंदरगाह आधारित व्यापार को भी नया बल मिलेगा।


