Datia news : भोपाल। शासकीय सम्पत्तियों का विक्रय ही एकमात्र विकल्प नहीं है। सम्पत्तियों का शासन के हित में बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जाए। यह बात मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्रालय में लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की समीक्षा के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि शासकीय सम्पत्तियों को बड़ी विकास परियोजनाओं के साथ भी जोड़ें ताकि शासन को ऐसी सम्पत्तियों का भी लाभ हो। बेहतर होगा कि ऐसे सम्पत्तियों को युक्तियुक्तकरण के जरिए समायोजित किया जाए।
उन्होंने कहाकि लोक परिसंम्पत्ति प्रबंधन विभाग अकेले ही परिसम्पत्तियों की नीलामी पर निर्णय न ले। राजस्व, धर्मस्व, विधि-विधायी विभाग के साथ समन्वय कर सम्पत्तियों के मामलों का समुचित समाधान किया जाए।
बैठक में लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह खण्डवा से वर्चुअली शामिल हुए। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डा.राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव लोक परिसम्पत्ति विभाग अनिरूद्ध मुखर्जी, प्रमुख सचिव वित्त मनीष रस्तोगी, सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डा.सुदाम खाड़े सहित लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि लोक परिसम्पत्तियों के प्रबंधन में नवाचार किए जाएं। राज्य के बाहर शासन के स्वामित्व वाली परिसम्पत्तियों का प्राथमिकता से प्रबंधन किया जाए। उन्होंने कहाकि अच्छी लोकेशन में मौजूद शासकीय परिसम्पत्तियों का यथासंभव शासन के हित में ही नियोजन किया जाए। इसके लिए सूक्ष्म कार्य योजना बनाकर उस पर विधिवत अमल किया जाए।

किसी मसले पर कानूनी राय की आवश्यकता है तो विधि एवं विधायी विभाग से अभिमत लेकर ही आगे की कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अच्छी लोकेशन में मौजूद सम्पत्ति पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट को देने पर विचार किया जा सकता है।
बैठक में बताया गया कि लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के गठन से लेकर अब तक 655 लोक परिसम्पित्तयां विभागीय पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी हैं। इसमें जिलों द्वारा 471 एवं विभिन्न विभागों द्वारा 184 परिसम्पत्तियों को दर्ज किया गया है।
कुल दर्ज की गई परिसम्पत्तियों में जिला व विभाग को 505 परिसम्पत्तियां वापस सौंपी गई है। 101 परिसम्पत्तियों का मुद्रीकरण, 48 परिसम्पत्तियों का प्रबंधन किया गया। एक परिसम्पत्ति के प्रबंधन की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।