भोपाल : रवीन्द्र भवन में सोमवार को वैदिक मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन के साथ अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की शुरुआत हुई। देशभर से आए संतों, आचार्यों और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। मंच से बताया गया कि श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान मानव जीवन को कर्तव्य, धर्म और सत्य के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता एक अद्भुत, अनुपम और पवित्र ग्रंथ है। गीता के अध्ययन मात्र से ही मनुष्य के जीवन के सभी प्रश्नों और सभी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) हो जाता है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान ही सम्पूर्ण सृष्टि के समग्र ज्ञान और चेतना का मूल आधार है। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने मानव जीवन को धर्म, कर्म और मर्म का वास्तविक मार्ग दिखाया है।
भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, निष्काम कर्म और धर्म पालन को ही मनुष्य के जीवन का सर्वोच्च मार्ग इंगित किया है। उन्होंने वीर अर्जुन को सिखाया कि लौकिक जगत में रहते हुए भी मनुष्य को अपने कर्तव्य (स्वधर्म) का पालन करना चाहिए।
11000 लोगों ने किया सामूहिक पाठ : कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण प्रस्तुति में 11000 कृष्ण-मार्गियों, विद्यार्थियों और भक्तों ने एक साथ गीता के 15वें अध्याय का सस्वर पाठ किया। इस एकस्वर पाठ से सभागार में दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनूठा वातावरण निर्मित हुआ। इसके अतिरिक्त, राज्य भर के 55 जिलों, 10 संभागों और 313 विकासखंडों में लगभग तीन लाख से अधिक लोग भी सामूहिक गीता पाठ में शामिल हुए, जो एक नया रिकॉर्ड माना जा रहा है।
कृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों को सहेजने की पहल : कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और चरण स्पर्श से जुड़े स्थानों को चिन्हित कर ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इन स्थलों को धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन के नए आयाम देने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रदेश में गीता भवनों का निर्माण किया जा रहा है। पहला गीता भवन इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में बनकर तैयार हो चुका है।
तकनीक और परंपरा का संगम : ‘कृष्णायन’ : इस वर्ष महोत्सव की खास प्रस्तुति रही एआई आधारित संगीत नाट्य ‘कृष्णायन’, जिसमें आधुनिक तकनीक के माध्यम से श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों और उपदेशों को दर्शाया गया।
इसके अलावा
● नृत्य-नाटिका
● दिव्यांग कलाकारों की प्रस्तुति ‘गीता ऑन व्हील्स’
● कृष्ण-थीम आधारित चित्र प्रदर्शनी
ने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।
शिक्षा और संस्कृति में श्रीकृष्ण के आदर्शों का संदेश : कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से शिक्षा, मित्रता, धर्म और कर्तव्य के अनेक प्रेरक संदेश मिलते हैं। सांदीपनि आश्रम से लेकर महाभारत के युद्ध तक उनके जीवन का हर अध्याय कर्म, धर्म और समभाव का उदाहरण है।
राज्य में गीता अध्ययन और अध्यात्म को प्रोत्साहित करने के लिए विविध आयोजनों और सांस्कृतिक गतिविधियों को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है।


