Jharkhand : रेमेडिसिविर के बाद अब ब्लैक फंगस का इंजेक्शन बाजार से गायब, कालाबाजारी संभव

रांची : गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब आदि दवाओं के बाद अब ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) की दवा बाजार से गायब है।ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज में सबसे अधिक कारगर दवा एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मानी जाती है। यह इंजेक्शन झारखंड की अधिसंख्य दवा दुकानों में उपलब्ध नहीं है।

हालांकि राज्य में अभी ब्लैक फंगस के मरीज अभी काफी कम संख्या में मिले हैं, लेकिन आनेवाले दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ने से समस्या गंभीर हो सकती है। ब्लैक फंगस की दवा खासकर एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की उपलब्धता के बारे में दवा दुकानदारों का कहना है कि इस दवा की खपत नहीं के बराबर है।

इसलिए वह इसे अपनी दुकानों में नहीं रखते। बताया जाता है कि रांची की कुछ चुनिंदा दुकानों में यह उपलब्ध रहती थी, लेकिन वर्तमान में वहां भी उपलब्ध नहीं है। सिप्ला कंपनी के स्टॉकिस्ट का कहना है कि वर्तमान में स्टॉक में यह दवा नहीं है। कंपनी से मांग की गई है, लेकिन अभी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि सरकारी अस्पतालों में अभी कुछ इंजेक्शन उपलब्ध हैं।

इस संबंध में निदेशक, औषधि ऋतु सहाय ने कहा कि यह इंजेक्शन काफी कम मात्रा में उपलब्ध है। राज्य सरकार इंजेक्शन बनानेवाली कंपनियों से लगातार संपर्क में है। इस संबंध में भारत सरकार को भी पत्र लिखा गया है। बता दें कि मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित कोरोना मरीजों के निगेटिव होने के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित होने के कुछ मामले देश में देखे गए हैं। झारखंड में अभी तक इसके लगभग एक दर्जन मामले आ चुके हैं, जबकि तीन मरीजों की जान जा चुकी है।

महंगी है ब्लैक फंगस की दवा चिकित्सकों के अनुसार, ब्लैक फंगस के इलाज में एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के अलावा आइसोकोनाजोल टैबलेट और कभी कभी पोसोकोनाजोल सिरप भी उपयोग होता है। ये सभी दवाएं बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। ये दवाएं काफी महंगी होती हैं। इंजेक्शन की कीमत दो से चार हजार रुपये, सिरप की कीमत 10 से 15 हजार रुपये तथा 10 टैबलेट की कीमत चार से पांच हजार रुपये है। 

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