मेला घूमने आए किशोर का अपहरण : पांच लाख की फिरौती के लिए ले ली जान, आरोपितों को मिली सजा

Datia news : दतिया। मेला घूमने आए किशोर और उसके फुफेरे भाई का बदमाशों ने अपहरण कर लिया था। लेकिन इस दौरान फुफेरा भाई किसी तरह बदमाशों के चंगुल से छूटकर भाग निकला। जिसने घर पहुंचकर सारी घटना परिवार के लोगों को बताई। जिसके बाद मामले की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसी बीच नाबालिग का अपहरण करने वाले बदमाशों ने फिरौती के लिए परिजन को फोन कर दिया। जिससे आरोपितों की पहचान हो गई।

पांच लाख की फिरौती न मिलने पर नाबालिग किशोर की हत्या करने वाले इन अपहरणकर्ताओं को न्यायालय ने आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपित मानसिंह एवं अजमेर दोहरे को आजीवन कारावास की सजा के साथ 12-12 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है। मामले की पैरवी आरसी चतुर्वेदी जिला अभियोजन अधिकारी एवं सुदीप शर्मा सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने की।

मीडिया सेल प्रभारी संचिता अवस्थी ने प्रकरण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी बृजकिशोर कुशवाह ने अपने 13 वर्षीय लड़के आकाश के साथ पुलिस को बताया कि उसका लड़का व बुआ का बेटा सुरेंद्र अपने गांव उपरांय से दतिया आए थे। मेला देखने के बाद दोनों बुआ संध्या के घर पहुंचे।

जहां उन्होंने बताया कि रात में वहीं रुकेंगे। इसके बाद फिर से दोनों मेले पहुंच गए। मेले में सुरेंद्र की पहचान का एक लड़का मिला। जिसके साथ इन्होंने मेला घूमा।उक्त लड़का, आकाश और उसके भाई सुरेंद्र को लेकर करन सागर की तरफ ले गया। जहां उसका एक अन्य साथी भी आ गए। उक्त दोनों ने आकाश और सुरेंद्र को झाड़ियों की तरफ भांडेर रोड पर ले जाने लगे तभी आकाश वहां से मौका लगाकर भाग निकला।

उसने पास में मंदिर की रोशनी देखकर वहां सो रहे बाबा को जगाया और पूरी बात बताई। बाबा ने उससे पिताजी का मोबाइल नंबर लेकर फोन कर पूरी सूचना दी। उक्त रिपोर्ट पर थाना कोतवाली में नाबालिग किशोर सुरेंद्र के अपहरण का मामला दर्ज किया।

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विवेचना के दौरान जानकारी मिली कि आरोपितों द्वारा पांच लाख रुपये फिरौती मांगी गई है। आरोपितों की आवाज की रिकार्डिंग की जांच कराई। तब जांच में पाया गया कि वह

आवाज आरोपित मानसिंह की है। आरोपित मानसिंह एवं अजमेर ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बताया कि पांच लाख रुपये फिरौती ना मिलने पर उन्होंने सुरेंद्र की सिर पर पत्थर पटककर व रस्सी से गलाघोंटकर हत्या कर दी थी। आवश्यक अनुसंधान उपरांत यह अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

विचारण के दौरान न्यायालय जीसी शर्मा द्वारा प्रकरण को संदेह से परे प्रमाणित मानते हुए आरोपितों को सजा सुनाई गई।जबकि प्रकरण के अन्य आरोपित रघुवीर प्रजापति के विरुद्ध साक्ष्य ना होने के कारण उसे दोषमुक्त कर दिया गया। वर्तमान में प्रकरण का एक आरोपित नवल प्रजापति फरार बताया जाता है।

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