रायपुर में आस्था और आश्चर्य का अद्भुत संगम कुकुरदेव मन्दिर : एक बेजुबान जानवर की वफादारी के आगे मुख्यमंत्री ने भी झुकाया सिर

Raipur News : रायपुर । छत्तीसगढ़ ऐसी पावन धरती है जहां एक बेजुबान जानवर को उसकी वफादारी के लिए देवता का दर्जा दिया जाता है। बालोद के खपरी िस्थत आस्था और आश्चर्य का अद्भुत संगम कुकुरदेव मन्दिर, मानव-पशु प्रेम की अनोखी मिसाल पेश करता है। यहां एक स्वामिभक्त कुत्ते की समाधि है जो लोकमान्यता के अनुसार अपने मालिक के प्रति आखिरी सांस तक वफादार रहा। मनुष्य के गुण उसे देवता बना देते हैं, ये हम सबने सुना है। मगर क्या किसी पशु के दैवीय गुण उसे पूजनीय बना सकते हैं? क्या कोई ऐसा मन्दिर हो सकता है, जहां किसी स्वामी भक्त कुत्ते की समाधि हो और वहां लोग आस्था से अपना सिर झुकाएं। ऐसा ही एक अनोखा मन्दिर है बालोद जिले का कुकुरदेव मन्दिर।

स्वामी भक्ति में वफादार ने गंवा दी थी जान : जनश्रुति के अनुसार बालोद जिले का खपरी कभी बंजारों की एक बस्ती थी। जहां एक बंजारे के पास एक स्वामी भक्त कुत्ता था। कालांतर में क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा। जिस वजह से बंजारे को अपना कुत्ता एक मालगुजार को गिरवी रखना पड़ा। मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामीभक्त कुत्ता चोरों द्वारा छुपाए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उसी स्थल तक ले गया।

मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते के गले में उसकी वफादारी का वृतांत एक पत्र के रूप में बांधकर कुत्ते को मुक्त कर दिया। गले में पत्र बांधे यह कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर यहां वापस आ गया।

क्रोधवश कुत्ते पर प्रहार किया। जिससे कुत्ते मृत्यु हो गई। बाद में बंजारे को वह पत्र देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्य परायणता का एहसास हुआ और वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुरदेव मंदिर स्थल पर उसकी समाधि बनाई। फणी नागवंशीय राजाओं द्वारा 14 वीं 15 वीं शताब्दी में यहां मन्दिर का निर्माण करवाया गया।

प्रदेश मुखिया ने पहुंचकर नवाया सिर : बालोद में हर बड़ा राजनेता, अधिकारी भी इस समाधि पर जरुर जाता है। प्रदेश के मुखिया खुद इस गहरी लोकपरम्परा के सम्मान में सिर नवाते हैं। इसी की बानगी तब नजर आई जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बालोद जिले के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत खपरी स्थित कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना से की।

आस्था और आश्चर्य का अद्भुत संगम कुकुरदेव मन्दिर, मानव-पशु प्रेम की अनोखी मिसाल पेश करता है। यहां एक स्वामिभक्त कुत्ते की समाधि है जो लोकमान्यता के अनुसार अपने मालिक के प्रति आखिरी सांस तक वफादार रहा । मुख्यमंत्री ने कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने मंदिर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया। उन्होंने मन्दिर के पुजारियों को वस्त्र प्रदान किये।

लोकपरंपराओं की थाती को संजो रहे मुख्यमंत्री : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ना सिर्फ छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और लोक परंपराओं की इस विरासत के संरक्षण के प्रति सजग हैं बल्कि इस थाती को संजोना उनकी सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में से है। यहां की संस्कृति में पशुओं के प्रति प्रेम रचा बसा है। इन्हीं लोक परंपराओं को मुख्यमंत्री पुनर्जीवित कर रहे हैं।

पशुधन संरक्षण को छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया है। गोधन न्याय योजना, गोबर खरीदी और गोमूत्र खरीदी जैसी योजनाएं पशुओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां पशुधन संरक्षण को एक आर्थिक मॉडल के रूप में अपनाया गया है। मुख्यमंत्री ने एक बेजुबान जानवर के स्मृति स्थल पर पहुंचकर छत्तीसगढ़ की पशुओं के प्रति प्रेम की लोक परंपरा को सम्मान दिया।

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