दिवाली पर करें ये उपाय : मां लक्ष्मी की कृपा रहेगी हमेशा , पैसो कि नहीं आएगी कभी तंगी,सफलता चूमेगी आपके कदम !

धर्म : इस साल दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा हर बार की तरह दिवाली के दिन अमावस्या होती है इस दिन लोग अलग अलग तरह से पूजा और साधना करते हैं जिसमें तंत्र मंत्र की उपासना होती हैं वैसे तो दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी , माँ सरसवती और गणेश जी की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने सभी भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति वैभव का आशीर्वाद देती हैं।

हर साल दिवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी को साबुत धनिया के साथ कौड़ी चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। कौड़ी को मां लक्ष्मी का ही प्रतीक माना जाता है। कोरोना काल कि महामारी के बाद दिवाली का ये त्योहार बेहद खास है। अब सारी दुनिया में दिवाली का उत्सब धूमधाम से मनाया जाएगा।

कथों में मान्यता है कि जब समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी के साथ-साथ कौड़ियां भी निकली थी। इसी वजह से इस दिन माता को कौड़ियां चढ़ाना शुभ माना जाता है और रही बात ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली के दिन कौड़ियों की पूजन करने के साथ-साथ कुछ उपाय करना फलदायक होते हैं। इन उपायों को करने से यश लाभ के साथ माता लक्ष्मी की कृपा मिलती हैं।

● पैसो कि कभी तंगी नहीं आएगी करे ये उपाय ? : दिवाली के दिन माता के पूजन के बाद मां को कुछ कौड़ियां और गोमती चक्र अर्पित करें। इसके बाद मन से पूजा करें। अगली सुबह एक साफ लाल कपड़े में कौड़ी और गोमती चक्र बांधकर तिजोरी या अलमारी में रख लें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता हैं।

● गरीबो को दे दान : दिवाली खुशियां बाटने का त्योहार हैं इसलिए हमेशा प्रयास करे कि हम लोगो के चेहरों पर मुस्कान ला सके ज़रूरतमंद कि कुछ मदद कर सके। दिवाली के दिन आप लोगो को मिठाइयां , कपड़े , और दिये दान कर सकते हैं।

● घर के कलेश को कैसे करे दूर : आम तोर पर कुछ घरो में आर्थिक अवस्था ठीक होती हैं लेकिन लड़ाई बहुत होती हैं इसे में आप दिवाली के दिन मिट्टी से बने दीयों का ही दीपक जलाना चाहिए और इसमें घी वाली दीपक का महत्व ज्यादा हैं।

● घर की सुख-शांति के लिए : दिवाली की शाम लक्ष्मी पूजन के समय कुछ कौड़ी, काली हल्दी और 11 साबुत सुपारी को जल से साफ कर लें. अब इनको लाल कपड़े में बांधकर पूजा की थाली में रख दें.

● व्यापार में तरक्की के लिए : व्यापार और रोजगार में तरक्की ही तरक्की चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा करें

(डिस्क्लेमर : इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और विभिन्न लेखों पर आधारित है. Ebharatnews.in इसकी पुष्टि नहीं करता है.हमारा काम सिर्फ सूचना पहुंचाना है.)

इतिहास !
भारत में प्राचीन काल से दीपावली को विक्रम संवत के कार्तिक माह में गर्मी की फसल के बाद के एक त्योहार के रूप में दर्शाया गया। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीपावली का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि ये ग्रन्थ पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में किन्हीं केंद्रीय पाठ को विस्तृत कर लिखे गए थे। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और जो हिन्दू कैलंडर अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है।

कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीपावली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं।नचिकेता की कथा जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे में बताती है; पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है। (सोर्स – विकिपीडिया )

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