नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आयोग को “योग्यता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर आधारित राष्ट्र-निर्माण की आधारशिला” बताया। नई दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन में UPSC की 100 वर्षों की यात्रा और प्रशासनिक व्यवस्था में उसके योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई।
UPSC की 100 वर्षों की यात्रा को बताया राष्ट्र-निर्माण का अध्याय : अपने संबोधन में बिरला ने कहा कि UPSC ने पिछले एक सदी में न केवल प्रशासनिक सेवाओं को दक्षता प्रदान की है, बल्कि लाखों युवाओं को सार्वजनिक सेवा में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि आयोग की भूमिका केवल चयन प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र में विश्वास, पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूत करता है।
लोकसभा अध्यक्ष के अनुसार, UPSC की संरचना और कामकाज भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसने सामाजिक, भाषाई और भौगोलिक विविधता को प्रशासनिक सेवाओं में प्रभावी रूप से स्थान दिया है।
चयन प्रणाली में पारदर्शिता और तकनीकी उन्नयन की सराहना : डिजिटल युग और तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि UPSC ने बीते वर्षों में तकनीक, वैज्ञानिक परीक्षण पद्धतियों और AI आधारित सुधारों के माध्यम से अपनी चयन प्रक्रिया को और अधिक उन्नत व पारदर्शी बनाया है।
उन्होंने कहा कि इन सुधारों ने सुशासन के नए मानदंड स्थापित किए हैं और प्रशासनिक सेवाओं को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप ढालने में अहम भूमिका निभाई है।
प्रतिभाओं को समान अवसर—लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती : लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आयोग ने विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाले युवाओं को समान अवसर देकर भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में विविधता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा कि UPSC की चयन प्रक्रिया का मूल तत्व सदैव योग्यता, कड़ी मेहनत और नैतिकता रहा है, जिससे जनता का विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है।
नए भारत के लिए UPSC की भूमिका और बड़ी : बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि शताब्दी वर्ष UPSC को नई ऊर्जा और संकल्प देगा। उन्होंने कहा कि आगामी दशकों में आयोग उन प्रशासनिक अधिकारियों की नई पीढ़ी तैयार करेगा जो नवाचार, विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप देश को आगे ले जाने में सक्षम होंगे।


