भगवान श्रीराम की ननिहाल चंद्रखुरी : जहां आज भी मिलते हैं अद्भुत रहस्य, रामायण धारावाहिक के श्रीराम और सीता भी पहुंचे दर्शन करने

Raipur News : रायपुर । रामनंद सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक “रामायण” के श्री रामचंद्र अरुण गोविल एवं मां सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया ने कौशल्या माता के धाम चंदखुरी पहुंचे। जहां उन्होंने माता कौशल्या और प्रभु श्री राम के दर्शन किए। साथ ही छत्तीसगढ़ की खुशहाली की कामना की।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक अनिल कुमार साहू ने दोनों कलाकारों को बस्तर के हस्तशिल्पकारों द्वारा निर्मित मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की बेल मेटल की प्रतिमा भेंटकर स्वागत किया। साथ ही राम वन गमन पर्यटन परिपथ निर्माण के तहत चंदखुरी सहित 9 स्थलों में किए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों की जानकारी भी दी।

गौरतलब है कि राजधानी रायपुर से 17 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम चंदखुरी भगवान राम की ननिहाल है। इस स्थान को माता कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है। गांव में तालाब के बीच 10वीं शताब्दी में बना माता कौशल्या का मंदिर भी है।

ऐसा माना जाता है कि महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी और भगवान श्रीराम की मां कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था। विवाह में राजा भानुमंत ने अपनी बेटी कौशल्या को आसपास के दस हजार गांव उपहार में भेंट किए थे। इसमें कौशल्या की जन्म स्थली का गांव चंद्रखुरी भी शामिल था। प्राचीन समय में चंद्रखुरी काे चंद्रपुरी भी कहा जाता था।

इस विशेष स्थल को देखने के लिए रामायण धारावाहिक में श्रीराम और मां सीता की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल और दीपिक चिखलिया चंद्रखुरी पहुंचे। यहां के पौराणिक स्थलों को देखकर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की। साथ ही गांव में इस स्थल को लेकर प्राचीन बातों को सुनकर आश्चर्य भी जताया।

वहीं 2260 किमी लंबा राम वन गमन पथ के भी उन्होंने दर्शन किए। इस प्रोजेक्ट के प्रथम चरण का लोकार्पण हो चुका है। जबकि अभी शेष कार्य बाकी है। वर्तमान में भूपेश बघेल सरकार राम वनगमन पथ के 9 पड़ाव सीतामढ़ी-हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंद्रखुरी, राजिम, सिहावा (सप्तऋषि आश्रम) को विकसित करने का कार्य रही है। 

भगवान राम की तीनों माताएं यहां आई थी : धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख बताया जाता है कि भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से आने के बाद उनका अयोध्या में धूमधाम से राज्याभिषेक किया गया।

उसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी ने तपस्या के लिए चंद्रखुरी जाने की इच्छा व्यक्त की थी। उनकी इच्छा के अनुरुप तीनों माताएं इस गांव मंे पहुंची थी। यहां आने के बाद वह तालाब के बीच विराजित हो गईं।

तालाब के जल का दुरुपयोग किया तो रुठ गई थी दो माताएं : गांव के लोग बताते हैं कि जब इस पवित्र तालाब के जल का उपयोग लोग गलत तरीके से करने लगे तो माता सुमित्रा और कैकयी अप्रसन्न हो गई।

जिसके बाद वह उस तालाब से दूसरी जगह चली गईं। लेकिन माता कौशल्या को इस स्थान से लगाव था। इस कारण वो यहां आज भी विराजमान हैं। इस मंदिर के मिलने का भी बड़ा रहस्य है। जिसे सुनकर हर कोई चौंक जाता है।  

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