खो गया भारत का अनमोल रत्न : स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर नहीं रही, कोरोना से जंग हार गई स्वर कोकिला
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Mumbai News : मुंबई । स्वर सम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर को कोरोना के क्रूर हाथों में छीन कर स्वर की दुनिया में गहरा अंधेरा फैला दिया है। लता मंगेशकर भले ही इस दुनिया को अलविदा कह गई हो लेकिन उनकी आवाज गीतों के रूप में हमेशा अमर रहेगी। रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनिट पर उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली।

लता जी के निधन पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए शिवाजी पार्क में रखी जाएगी। 8 जनवरी को 92 साल की लता जी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जिसके बाद उन्हें तुरंत मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके भर्ती होने की खबर भी 2 दिन बाद 10 जनवरी को सबको मिल सकी थी।

उन्होंने कोरोना और निमोनिया दोनों से 29 दिन तक संघर्ष किया। लेकिन कोरोना ने आखिरकार भारत के इस अमूल्य रत्न को छीन ही लिया।

घर का नौकर पॉजिटिव आने के बाद हुई संक्रमण की शिकार

लता मंगेशकर लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं। वे कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के लिए संदेश जरुर देती थीं। बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के कारण वे अपने कमरे में ही ज्यादा समय गुजारती थीं। उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट पिछले दिनों कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका भी टेस्ट कराया गया था। जिसके बाद 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली अंतिम सांस

लता मंगेशकर को ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में रखा गया था। डॉ. प्रतीत समधानी की देखरेख में ही डॉक्टर्स की टीम उनका इलाज कर रही थी। इलाज के दौरान उनकी हेल्थ में सुधार भी देखा जा रहा था। उन्हें लगातार ऑब्जर्वेशन में रखा गया। करीब 5 दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होना भी शुरू हो गया था। 

ऑक्सीजन निकाल दी गई थी लेकिन आईसीयू में ही रखा गया। रविवार को सुबह 8.12 बजे उनका निधन हो गया। डॉ. प्रतीत ने बताया कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर उनकी मौत की वजह रही। इस बुरी खबर से करोड़ों संगीत प्रेमियों का दिल टूट गया। सैंकड़ों कालजयी गानों को अपनी आवाज देने वाली लता जी रविवार 6 फरवरी को अनंत यात्रा पर चली गईं। लता मंगेशकर के निधन की खबर से मनोरंजन जगत में सन्नाटा पसर गया है।

लता जी का संघर्ष सुन भर आती हैं आंखें

लता मंगेशकर ने गायकी के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए अपने जीवन में कड़ा संघर्ष किया था। इसका जिक्र उन्हाेंन ने खुद भी किया है कि किस तरह वह अपने संघर्ष के दिनों में आगे वह बढ़ी थीं। काम के जुनून में उन्हें खाने पीने तक का ध्यान नहीं रहता था। वे सिर्फ चाय या पानी पीकर ही अपना दिन गुजार लेती थीं।

Lost the precious gem of India, Lata Mangeshkar

उनके संघर्ष के दिनों का जिक्र यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ में मिलता है। ‘लता सुर गाथा’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। 

संगीत की दुनिया को दिए कीमती 80 साल

लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए हैं। जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड से कम नहीं है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था, जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी।

सन 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए। उनका आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।

करीब 80 साल से संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के ही इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे। उन्होंने ही लता जी को संगीत की शिक्षा दी थी।

5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोंसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। उनकी जिम्मेदारी भी लता जी ने पिता की मौत के बाद ख्ुद उठाई।

21 साल पहले मिला भारत रत्न

लता मंगेशकर को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके पहले भी उन्हें कई सम्मान दिए गए, जिसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान भी शामिल हैं।

कम ही लोग जानते हैं कि लता जी गायिका के साथ संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म “लेकिन” थी, इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं। इसके अलावा भी फिल्म “लेकिन” को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।

प्रभु कुंज पर सन्नाटे का डेरा

लता मंगेशकर अपनी बहन उषा और भाई हृदयनाथ के साथ मुंबई के पेडर रोड स्थित प्रभुकुंज में पहले फ्लोर पर रहती थीं। कई सालों से वे यहां रह रही थीं। बहन आशा भोंसले भी यहां से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। सालों तक प्रभाकुंज सोसायटी की सुबह लता मंगेशकर के संगीत के रियाज से ही शुरू होती रहीं।

करीब 4 साल से उनका रियाज खराब सेहत के कारण लगभग बंद सा ही था। नवंबर 2019 में भी लता जी को निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था। जहां वे 28 दिन भर्ती रही थीं। नवंबर 2019 के बाद से उनका घर से निकलना भी लगभग बंद हो चुका था।

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