पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किसानों को 23,200 सी.आर.एम. मशीनें मुहैया करवाईं – कुलदीप सिंह धालीवाल

चंडीगढ़ : पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा शुरू किए गए ठोस प्रयासों की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने आज बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा मौजूदा सीजन के दौरान ‘फ़सलों के अवशेष को मौके पर ही प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी को प्रोत्साहित करने’ सम्बन्धी योजना के अधीन किसानों, राज्य की किसान उत्पादक संस्थाओं (एफ.पी.ओज़), पंचायतों, प्राईमरी एग्रीकल्चरल सोसायटियों (पी.ए.सी.एस.) को फसलों के अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) के लिए 23,200 से अधिक मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के ठोस प्रयासों के स्वरूप पराली जलाने की घटनाओं में 30 प्रतिशत की कमी आई है।  

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के अंतर्गत अब तक 1,13,622 मशीनें मुहैया करवाई जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने इस योजना के अंतर्गत किसानों और कस्टम हायरिंग सैंटरों को क्रमवार 50 प्रतिशत और 80 प्रतिशत सब्सिडी की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि इस सब्सिडी के लिए आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के द्वारा माँगे गए हैं, जिससे इस सब्सिडी का लाभ लेने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।  

छोटे और सीमांत किसानों को सी.आर.एम. मशीनरी प्रदान करने के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों को उजागर करते हुए स. धालीवाल ने कहा कि विभाग द्वारा हरेक ब्लॉक में कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, जहाँ ख़ासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए सी.आर.एम. मशीनें उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जि़लों को 7.4 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा सी.आर.एम. मशीनों की बुकिंग के लिए आई-खेत ऐप भी जारी की गई है।  

इस सम्बन्धी जानकारी किसानों तक पहुँचाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा किसानों को अवशेष प्रबंधन तकनीक के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ किसानों को प्रेरित करने के लिए गाँव स्तर पर कैम्प्स, दीवार चित्रों, बैनर और प्रचार वैन्स के द्वारा जानकारी, शिक्षा और संचार सम्बन्धी अलग-अलग गतिविधियाँ की जा रही हैं। स. धालीवाल ने कहा कि राज्य में 3000 से अधिक गाँव स्तरीय कैम्प्स लगाए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि विभाग ने किसानों और उनके परिवारों को जागरूक करने के लिए 9 विशेष जिलों में आशावर्करों को भी शामिल किया है।  

जि़क्रयोग्य है कि राज्य में फसलों के अवशेष के मौके पर और बाद में प्रबंधन सम्बन्धी उपकरणों की अधिक उपलब्धता के स्वरूप पराली जलाने की घटनाओं को कम करने में मदद मिली है। धान के कटाई सीजन के दौरान राज्य में पराली जलाने की घटनाएँ 2021 में 71,159 के मुकाबले 2022 में कम होकर 49,922 रह गई हैं, जिससे 29. 84 प्रतिशत की कमी आई है।  

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