भोपाल : मध्यप्रदेश में उद्योग समर्थक नीतियों और निवेश-मित्र वातावरण के चलते पिछले तीन वर्षों में विनिर्माण क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य में विनिर्माण इकाइयों की संख्या बढ़कर 4 लाख 26 हजार 230 तक पहुंच गई है। वर्ष 2022-23 में 67,332 इकाइयाँ थीं, जो 2024-25 में बढ़कर 1,13,696 हो गईं।
राज्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की संख्या अब 20.43 लाख तक पहुँच गई है। इनमें 20.22 लाख सूक्ष्म, 19,508 लघु और 1,178 मध्यम उद्योग शामिल हैं। एमएसएमई क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान दे रहा है और इससे एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
स्टार्टअप नीति से नया उद्यमी वर्ग उभर रहा है : राज्य में स्टार्टअप नीति के परिणामस्वरूप 6000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स कार्यरत हैं, जिनमें से 47% महिला उद्यमियों द्वारा संचालित हैं। प्रदेश में 100 से अधिक इनक्यूबेटर सेंटर स्थापित हैं, जिनमें स्मार्ट सिटी, अटल और टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर शामिल हैं।
RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। सात जिलों — नर्मदापुरम्, विदिशा, हरदा, राजगढ़, रायसेन, अशोकनगर और भोपाल — में एमएसएमई इनोवेशन-सह-इनक्यूबेशन सेंटर की स्वीकृति दी जा चुकी है।
स्टार्टअप नीति 2025: नवाचार और महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन : नई नीति के तहत नए स्टार्टअप्स के लिए 30 लाख रुपये तक का सीड फंड अनुदान और 100 करोड़ रुपए का कैपिटल फंड प्रावधानित किया गया है। बौद्धिक संपदा सुरक्षा के लिए घरेलू पेटेंट हेतु 5 लाख रुपये और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए 20 लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी।
महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को विशेष प्राथमिकता दी गई है। साथ ही, किराया सहायता योजना के तहत स्टार्टअप्स को 50% तक किराया भत्ता (अधिकतम ₹10,000 प्रति माह) प्रदान किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस (EIR) प्रोग्राम, ऑनलाइन पोर्टल, और स्टार्टअप एडवाइजरी काउंसिल भी स्थापित की है, ताकि नीति का प्रभावी क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग हो सके।
आर्थिक विकास और रोजगार का नया आधार : मध्यप्रदेश का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब कृषि, फूड प्रोसेसिंग, डीप टेक, बॉयोटेक और ग्रीन इनोवेशन जैसे क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है। यह न केवल राज्य की आर्थिक वृद्धि का नया आधार बन रहा है, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार सृजन का भी प्रमुख साधन बन चुका है।


