भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की फसलों को वन्य जीवों से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार और वन विभाग ने एक हाई-टेक वन्य जीव कैप्चर अभियान चलाया। यह देश में अपनी तरह का पहला अभियान था, जिसमें हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग कर वन्य जीवों को बिना किसी हानि पहुँचाए सुरक्षित रूप से पकड़कर स्थानांतरित किया गया।
यह अभियान शाजापुर, उज्जैन और आसपास के इलाकों में संचालित हुआ। इसका उद्देश्य फसलों को नुकसान पहुँचा रहे कृष्णमृगों और नीलगायों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित करना था। अभियान के दौरान वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई और पूरी प्रक्रिया पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखकर संचालित की गई।
हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग : अभियान में दक्षिण अफ्रीका की संस्था ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ के 15 विशेषज्ञों ने भागीदारी की। विशेषज्ञों ने राज्य की वन विभाग टीम को प्रशिक्षण दिया और 10 दिनों तक अभियान चलाया गया। इसमें रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया, जिससे पहले खेतों और खुले क्षेत्रों में वन्य जीवों की लोकेशन का सर्वे किया गया। इसके बाद ‘बोमा’ नामक शंकु आकार की बाड़ तैयार की गई, जिसे हरे जाल और घास से ढक दिया गया ताकि जानवर भयभीत न हों। हेलीकॉप्टर की मदद से वन्य जीवों को धीरे-धीरे उस बाड़ में लाया गया और फिर उन्हें वाहनों से अभयारण्यों तक सुरक्षित पहुँचाया गया।
913 वन्य जीवों का सुरक्षित पुनर्वास : लगभग दस दिनों तक चले इस अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सुरक्षित रूप से पुनर्स्थापित किया गया। इनमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय शामिल हैं। नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य में और कृष्णमृगों को गांधीसागर, कूनो तथा नौरादेही अभयारण्यों में छोड़ा गया। पूरी प्रक्रिया में किसी भी जानवर को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जिससे यह अभियान पूरी तरह सुरक्षित और मानवीय बना रहा।
प्रशिक्षित दल और स्थानीय सहयोग : वन विभाग ने इस अभियान के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित दल तैयार किया, जिसने दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों से प्रशिक्षण प्राप्त किया। भविष्य में यह दल अन्य जिलों में भी ऐसे कैप्चर ऑपरेशन संचालित करेगा। अभियान में जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और स्थानीय ग्रामीण समुदाय ने सक्रिय सहयोग दिया।
किसानों को मिली राहत : अभियान के परिणामस्वरूप उज्जैन, शाजापुर और आसपास के क्षेत्रों के किसानों को राहत मिली है। कृष्णमृग और नीलगायों द्वारा फसलों को नुकसान पहुँचाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे किसानों की आर्थिक हानि कम होगी और वन्य जीवों का संरक्षण भी सुनिश्चित रहेगा।


