भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को ऊर्जादाता बनाने के उद्देश्य से ‘सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना’ लागू करने की घोषणा की है। इस योजना से किसान अपनी अनुपयोगी या बंजर जमीन पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बना सकेंगे और उसे सरकार को बेच सकेंगे।
राज्य में अब तक 80 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएँ स्थापित हो चुकी हैं, जिनसे 16 हजार से अधिक कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है।
कुसुम-सी योजना का विस्तार : यह योजना प्रधानमंत्री कुसुम-सी योजना का विस्तार मानी जा रही है। इसके तहत प्रदेश के कृषि फीडर और विद्युत सब-स्टेशन को सौर ऊर्जा से चलाने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 8 हजार कृषि फीडर हैं, जिनसे करीब 35 लाख कृषि पंप जुड़े हुए हैं। अब इन पर सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगे।
सस्ती बिजली और दिन में आपूर्ति : योजना से किसानों को दिन में 8 घंटे सस्ती बिजली मिलेगी। रात में बिजली के इंतज़ार की समस्या कम होगी और किसान बिना रुकावट सिंचाई कर सकेंगे।
निवेशकों के लिए सरकार 25 साल तक बिजली खरीदने का करार करेगी और उन्हें सस्ती जमीन और तय बिजली दर दी जाएगी। बैंक ऋण पर एग्रीकल्चर इन्फ्रा फंड के तहत 7 वर्षों तक 3% ब्याज की छूट भी उपलब्ध होगी।

सौर ऊर्जा क्षमता में तेजी से वृद्धि : प्रदेश में वर्ष 2012 में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता 500 मेगावाट से कम थी, जो अब बढ़कर 9,300 मेगावाट से अधिक हो चुकी है। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 48% वार्षिक वृद्धि के साथ सबसे बड़ा है।
रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्रोजेक्ट और ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट ने इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सांची देश की पहली सौर ऊर्जा आधारित सोलर सिटी बनी है।
2030 तक 50% बिजली नवकरणीय ऊर्जा : प्रदेश सरकार ने वर्ष 2030 तक अपनी 50% ऊर्जा आवश्यकताएं नवकरणीय स्रोतों से पूरी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए स्मार्ट ग्रिड और माइक्रो ग्रिड जैसी तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
उद्योग और रोजगार वर्ष : ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट समेत कई आयोजन कर प्रदेश में निवेश आकर्षित किया जा रहा है। 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों से 21 लाख से अधिक रोजगार के अवसर बनने की उम्मीद है।