भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार खनन के क्षेत्र में नवाचारों के माध्यम से देश का अग्रणी राज्य बन गया है। प्रदेश में पहली बार क्रिटिकल मिनरल के दो ब्लॉक्स को नीलामी में रखा गया, जिससे खनिज संसाधनों के उपयोग और राजस्व में वृद्धि हुई। प्रदेश ने सबसे अधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी कर देश में प्रथम स्थान हासिल किया है।
प्रदेश की समृद्ध खनिज सम्पदा और नई खनन नीतियों के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। खनिज संसाधनों के उपयोग से राजस्व में बढ़ोत्तरी के साथ ही रोजगार के नये अवसर पैदा हो रहे हैं।
खनिज राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि
वित्तीय वर्ष 2024-25 में खनिज राजस्व संग्रह 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है। इस उपलब्धि ने मध्यप्रदेश को आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाया है।
मुख्य खनिज ब्लॉकों की नीलामी में अग्रणी
मध्यप्रदेश खनिज ब्लॉकों की नीलामी में देश में प्रथम स्थान पर है। अब तक ग्रेफाइट के आठ ब्लॉक और रॉक-फॉस्फेट के छह ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किए जा चुके हैं। इसके अलावा, गोल्ड के चार, मैग्नीज के 16, और कॉपर का एक ब्लॉक भी नीलाम किया गया है।
भारत सरकार की नई एक्सप्लोरेशन नीति के तहत, प्रदेश ने क्रिटिकल मिनरल के दो ब्लॉक नीलामी के लिए पेश किए हैं, जिससे राज्य इस नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।
अवैध खनन रोकने के प्रयास
खनिज परिवहन में पारदर्शिता और अवैध खनन रोकने के लिए प्रदेश में 41 एआई-आधारित ई-चेकगेट स्थापित किए जा रहे हैं। इन चेकगेट्स में वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी रीडर और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर की सहायता से वाहनों की जाँच की जाएगी। इसके साथ ही, उपग्रह और ड्रोन आधारित परियोजना के माध्यम से 7 हजार खदानों को जियो टैग किया गया है।
निजी निवेश को बढ़ावा
राज्य सरकार निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर खनिज संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में काम कर रही है। हाल ही में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
खनिज भंडार और उत्पादन
मध्यप्रदेश देश के एकमात्र हीरा भंडार के लिए प्रसिद्ध है, जो पन्ना जिले में स्थित है। इसके अलावा, मलाजखण्ड ताम्बा खदान भारत की सबसे बड़ी ताम्बा खदान है। राज्य में कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, और बॉक्साइट जैसे खनिजों का विशाल भंडार है, जो प्रदेश को राष्ट्रीय खनिज उत्पादन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।
मध्यप्रदेश की इन पहलों से न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित हो रही है, बल्कि यह माइनिंग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी बना रहा है।