भोपाल : वर्ष 2024 में मध्यप्रदेश ने सिंचाई के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के “नदी जोड़ो” के सपने को साकार करते हुए प्रदेश में दो बड़ी महत्वाकांक्षी एवं बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ।
दो बड़ी परियोजनाओं का शुभारंभ
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना : 17 दिसंबर को जयपुर में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच अनुबंध सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यह परियोजना मालवा और चंबल क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदलने की क्षमता रखती है।
- लाभ:
- 6,13,520 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा।
- 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध।
- चंबल दाईं मुख्य नहर के आधुनिकीकरण से 3,62,000 हेक्टेयर में सिंचाई।
- परियोजना से मध्यप्रदेश और राजस्थान के 13 जिलों के 3,217 गांवों को लाभ।
- अनुमानित लागत: 72,000 करोड़ रुपये।
केन-बेतवा लिंक परियोजना : 25 दिसंबर को खजुराहो में केन-बेतवा राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास किया गया। यह देश की पहली भूमिगत दबावयुक्त पाइप सिंचाई प्रणाली आधारित परियोजना है।
- लाभ:
- 8,11,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई।
- 44 लाख किसान परिवार लाभान्वित।
- 103 मेगावॉट हरित ऊर्जा का योगदान।
- उत्तर प्रदेश में 59,000 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा।
सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी
पिछले दो दशकों की उपलब्धियां
- वर्ष 2003 में सिंचाई रकबा लगभग 3 लाख हेक्टेयर था।
- वर्ष 2024 तक यह बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हुआ।
- वर्ष 2025-26 तक 65 लाख हेक्टेयर तक बढ़ने का लक्ष्य।
- वर्ष 2028-29 तक 1 करोड़ हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का लक्ष्य।
बजट और निवेश
- वर्ष 2024-25 के बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए 13,596 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- चितरंगी दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजना: 1,320 करोड़ रुपये।
- जावद-नीमच दाबयुक्त परियोजना: 4,197 करोड़ रुपये।
“पर ड्रॉप मोर क्रॉप” की दिशा में पहल
प्रदेश में “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के उद्देश्य की पूर्ति के लिए 133 बड़ी और मध्यम दबावयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इनसे जल प्रबंधन में सुधार और किसानों को अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
ग्रामीण और औद्योगिक विकास में योगदान
इन परियोजनाओं से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। जल विद्युत परियोजनाओं से हरित ऊर्जा का योगदान बढ़ेगा और औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त जल आपूर्ति से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
समृद्धि के नए द्वार
दोनों परियोजनाओं से मध्यप्रदेश और राजस्थान में समृद्धि आएगी। किसानों की उपज बढ़ेगी और प्रदेश आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
निष्कर्ष: प्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। इन परियोजनाओं से प्रदेश के विकास को नई गति मिलेगी और किसान लाभान्वित होंगे। यह कदम जल, कृषि और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।