नई दिल्ली : फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने शुक्रवार को कहा कि हिंद-प्रशांत तथा दक्षिण चीन सागर में चीन काफी अक्रामक होता जा रहा है तथा नौवहन की स्वतंत्रता एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
एक थिंक-टैंक के एक विचार-विमर्श सत्र में पार्ली ने कहा कि आतंकवाद की चुनौती से व्यापक तरीके से निपटना होगा। अफगानिस्तान की स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि फ्रांस और भारत दोनों को आतंकवादी हमलों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
फ्रांस की रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन एक बड़ा देश है और जलवायु परिवर्तन जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सहयोग बढ़ा जा सकता है।उन्होंने कहा, ‘‘ चीन व्यापार एवं वाणिज्यिक साझेदार भी है, लेकिन हम यह भी देख रहे हैं कि क्षेत्र में वह अक्रामक होता जा रहा है और जब दक्षिण चीन सागर की बात आती है तो वह और भी विशिष्ट हो जाता है।’’
पार्ली ने कहा, ‘‘ फ्रांस और, यदि मैं कह सकती हूं कि भारत के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार एक से हैं…..मेरा मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून, नौवहन की स्वतंत्रता केवल एक प्रमुख अवधारणा नहीं है। यह उन नियमों के समूह में से हैं, जिनका हम पालन करते हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा भी है जो नौवहन एवं व्यापार की स्वतंत्रता के लिए खतरा उत्पन्न करता है।’’
उन्होंने कहा कि प्रमुख समुद्री मार्ग मुक्त रहने चाहिए। फ्रांस की रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ हमने देखा है कि कई बार दक्षिण चीन सागर को बंद करने की कोशिश की जाती है और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि नौवहन की स्वतंत्रता बरकरार रहे।’’पार्ली ने कहा कि फ्रांस, हिंद-प्रशांत को एक खुले एवं समावेशी क्षेत्र के तौर पर संरक्षित रखना चाहता है और यह किसी भी ‘‘दबाव’’ से मुक्त होना चाहिए।