Raipur News : रायपुर । मुख्यमंत्री दाई दीदी मोबाइल क्लीनिकों के माध्यम से अब तक राज्य में करीब एक हजार 439 कैम्प लगाएं जा चुके है। इनसे रायपुर, बिलासपुर एवं भिलाई नगर निगम क्षेत्र की गरीब स्लम बस्तियों में रहने वाली एक लाख 6 हजार 700 से अधिक महिलाओं एवं बच्चियों का उनके घर के पास इलाज किया जा चुका है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लिनिक योजना संचालित की जा रही है।
योजना के तहत दाई-दीदी क्लिनिक की मोबाइल मेडिकल यूनिट के वाहन में महिला चिकित्सकों और स्टॉफ की टीम पहुंचती है तथा जरूरतमंद महिलाओं एवं बच्चियों की विभिन्न बीमारियों का निःशुल्क इलाज कराती है। इन मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा 19 हजार 62 महिलाओं का लैब टेस्ट किया गया तथा एक लाख एक हजार 394 महिलाओं को निःशुल्क दवाईयां दी गई।
इससे गरीब स्लम क्षेत्र में रहने वाली मेहनत मजदूरी करने वाली ऐसी महिलाएं जो कई कारणों से अपना इलाज नहीं पा रही थी। उन्हें इलाज की सुविधा घर के पास ही महिला चिकित्सकों और स्टॉफ के माध्यम से मिल पा रही है।
सामान्य सर्दी खांसी के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करने की सलाह : मौसम में हो रहे बदलाव के चलते सर्दी-बुखार का होना सामान्य बात है। लगातार बारिश और उसके बाद होने वाली तेज धूप के चलते वातावरण वायरस के फैलाव के अनुकूल हो जाता है। ऐसे में हुए बुखार को वायरल बुखार या मौसमी बुखार कहा जाता है। भले ही इस तरह के बुखार चार से छह दिनों में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन इससे होने वाली कमजोरी और अन्य समस्याओं का असर कई दिनों तक बना रहता है। मौसम में बदलाव के आते ही इस तरह के बुखार का होना बहुत सामान्य होता है, किन्तु इसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस समय सर्दी-खांसी, जुकाम को बढ़ाने वाले इस्पेटरी वायरस, एडिनो, सिनसाइटल आदि वायरस ज्यादा सक्रिय हैं। यह वायरस तभी सक्रिय होते हैं, जब आर्द्रता अधिक होती है। पानी गिरने के बाद निकली धूप वायरस को अधिक अनुकूल मौसम प्रदान करती है। ऐसी स्थिति में वातावरण में मौजूद यह वायरस लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। डॉ. मिश्रा ने बच्चों को इनसे बचाने के लिए उन्हें गंदगी से दूर रखने, बार-बार भीगने से बचाने की सलाह दी है। उन्होंने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषणयुक्त भोजन खिलाने कहा है।
क्यों होता है वायरल फीवर?
मौसम में बदलाव होने के साथ ही हमारे वातावरण में कई प्रकार के वायरस तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनका शरीर इन वायरस से मुकाबला नहीं कर पाता है। लिहाजा उन्हें बुखार और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। बुखार होना एक तरह की सुरक्षात्मक क्रिया है। जब आप किसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर का तापमान बढ़ा देती है ताकि वायरस का प्रभाव कम हो जाए।
वायरल बुखार के क्या लक्षण होते हैं ?
वायरल बुखार में सामान्यतः सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार का लंबे समय तक बने रहना और दवाओं के प्रयोग से भी बुखार कम न होना प्रमुख है। बुखार के कुछ और लक्षण हैं जैसे जोड़ों में दर्द होना, शरीर में दाने निकलना, चेहरा फूल जाना और उल्टियां होना। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन अपने डॉक्टर के पास जाएं। अगर बुखार हो गया है तो पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते, गर्म और तरल भोजन जैसे सूप और खिचड़ी खाएं। बीमार होने पर बिना डॉक्टर के परामर्श के स्वयं एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करने वाली दवाएं न लें।
एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियां को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, वायरस दूर करने के लिए नहीं। ऐसी दवाएं एसिडिटी और पेट की बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। बीमारी से बेहतर महसूस करने के बावजूद डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए। दवा के कोर्स के बीच में ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने पर बैक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे आपके और आसपास के लोगों के एक बार फिर बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
वायरल फीवर से कैसे करें बचाव
उचित खान-पान व नियंत्रित जीवन-शैली से वायरल फीवर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन इससे होने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। वायरल फीवर में शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम दें। अगर गले में खराश या दर्द है तो हल्के गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना काफी फायदेमंद होता है। गले के दर्द को ठीक करने के लिए हल्के गर्म पानी में शहद और नमक डालकर भी गरारे कर सकते हैं।
बैक्टीरिया से रोकथाम के लिए आवश्यक है कि कीटाणुनाशक लिक्विड हैंडवॉश या साबुन से हाथ बार-बार धोएं। भीड़-भाड़ से दूर रहें और बिना हाथ धोए अपना चेहरा, मुंह और नाक छूने से बचें। बरसात के मौसम में बाहर का कुछ भी तला-भूना खाने से बचें। वायरल बुखार होने पर जब भी खांसी, जम्हाई या छींक आए तो मुंह रुमाल से ढंक लें। शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर डॉक्टर की सलाह लेंवे।